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शर्तों का उल्लंघन करने वाले 16 स्टोन क्रेशरों की लीज कैंसिल

खनिज विभाग की रिपोर्ट पर कलेक्टर ने की बड़ी कार्रवाई, नोटिस के बाद भी नहीं किया था सुधार
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। नियमों को ताक पर रखकर चल रहे स्टोन क्रेशरों के खिलाफ बुधवार को कलेक्टर द्वारा बड़ी कार्रवाई की गई। शर्तों का उल्लंघन पाए जाने पर कलेक्टर ने एक साथ 16 स्टोन क्रेशरों की लीज निरस्त कर दी है। इस कार्रवाई के बाद स्टोन क्रेशर संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है। दरअसल, सालों बाद इतनी बड़ी कार्रवाई प्रशासन द्वारा की गई है।
एनजीटी के नियमों के तहत संचालित नहीं हो रहे स्टोन क्रेशरों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पिछले दिनों खनिज विभाग ने तीन दर्जन क्रेशर संचालकों को नोटिस जारी किया था। हिदायत दी गई थी कि वे तय समय पर क्रेशरों के लीज क्षेत्र में यथासंभव व्यवस्थाएं बना लें, लेकिन कुछ स्टोन क्रेशर संचालकों ने न तो नोटिस का जवाब दिया और न ही क्रेशरों के आसपास कोई व्यवस्थाएं की। कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन के संज्ञान में मामला आने के बाद बुधवार को एक साथ सभी 16 क्रेशर संचालकों को पट्टा शर्तों का दोषी पाते हुए लीज निरस्ती की कार्रवाई की गई।
इन शर्तों का किया था उल्लंघन
- एनजीटी के नियमों के मुताबिक क्रेशर संचालकों को डस्ट नियंत्रण की व्यवस्थाएं करनी थी।
- क्रेशर में कार्य करने वाले मजदूरों को सभी प्रकार की सुरक्षा जैसे की मास्क, ग्लब्स के इंतजाम करके देने थे।
- लीज क्षेत्र के आसपास फेंसिंग करवानी थी ताकि कोई बड़ी दुर्घटना क्रेशरों के गड्डों में न हो सकें।
- क्रेशरों के आसपास रोजाना पानी छिड़काव की व्यवस्था भी करनी थी, ताकि यहां से निकलने वाली डस्ट से आमजन बीमार न पड़े।
अब आगे क्या...
लीज निरस्ती की कार्रवाई के बाद अब सभी क्रेशर संचालकों के क्रेशर सील किए जाएंगे। सभी खनिज निरीक्षकों को निर्देशित किया गया है कि वे अगले सात दिनों के भीतर सभी क्रेशरों के खिलाफ सीजिंग की कार्रवाई करेंगे।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।