इस मंदिर में होता है अखंड रामायण का पाठ, 32 सालों से जारी है परंपरा

Lesson of Ramayana is being done in this temple from 32 years
इस मंदिर में होता है अखंड रामायण का पाठ, 32 सालों से जारी है परंपरा
इस मंदिर में होता है अखंड रामायण का पाठ, 32 सालों से जारी है परंपरा

डिजिटल डेस्क,अमरावती। अध्यात्म की नगरी कहे जाने वाले अमरावती शहर में 12 महीने सुंदरकांड, अखंड रामायण, रामकथा ज्ञानयज्ञ जैसे आयोजनों का सिलसिला चलता ही रहता है। ऐसा बहुत कम होता है कि 24 घंटे रामकथा की अविरल धारा बहती रहे, लेकिन शहर के दशहरा मैदान स्थित संकटमोचन विजय हनुमान मंदिर में पिछले 32 सालों से अखंड रामायण पाठ चल रहा है।  

शहर के दशहरा मैदान परिसर स्थित संकटमोचन विजय हनुमान मंदिर एवं नृसिंह धाम मंदिर में 12 महीने लगातार रामकथा सुनाई जा रही है। वर्षों से शहरवासियों का आस्था का केंद्र रहा यह मंदिर संत समागम, राम कथा एवं प्राचीन धरोहर का त्रिवेणी संगम बना हुआ है। महंत नृसिंहदास महात्यागी की कृपा से इस मंदिर में विगत 32 सालों से अखंड रामायण का पाठ जारी है। इसी तरह मंदिर में संतों का वास, एक ही स्थान पर चारों धाम के दर्शन के कारण यहां पर भक्तों का हमेशा ही तांता लगा रहता है।

सीतारामबाबा ने की थी स्थापना
पहले यह मंदिर शहर के मुहाने पर स्थित था। शहर का प्राचीनतम मंदिर होने के कारण यहां समय- समय पर धार्मिक आयोजन होते रहते थे। 1985 में चैत्र नवरात्र की घटस्थापना के दिन यानी 15 मार्च को महंत नृसिंहदास महात्यागी ने मंदिर में अखंड रामायण पाठ आरंभ करवाया। संत शिरोमणि सीतारामदास बाबा के हाथों रामायण की स्थापना की विधि पूर्ण की गई। तब से अब तक यह अखंड रामायण पाठ दिन-रात 24 घंटे चल रहा है। शुरुआत में महंत नृसिंहदास बाबा की देखरेख में रामायण पाठ का सिलसिला चलता रहा। उनके शांत होने के बाद नृसिंहदास बाबा के परमशिष्य महंत मदनमोहनदास महात्यागी की देखरेख में रामायण पाठ चल रहा है।

भक्तिभाव से करते हैं पाठ
24 घंटे रामकथा के इस महायज्ञ में भक्तगण स्वयंस्फूर्ति से जुड़े हैं। अनेक भक्तों ने रामायण पाठ का अपना समय सुनिश्चित कर लिया है जिससे रामकथा का यह क्रम 1 सेंकड के लिए भी नहीं रुकता। विशेष रूप से रामायण की चौपाइयों में सीताराम, सीताराम, सीताराम जय सीताराम का संपुट लगाया जाता है। मंदिर में 31 वर्षों से निरंतर रामकथा चल रही है जिस कारण यहां पर भक्तों का हमेशा तांता लगा रहता है। इस मंदिर को अनेक मान्यवरों ने भी भेंट दी है। मंदिर की ओर से प्रतिवर्ष आयोजित दो यज्ञों में देशभर से संत महंतों को आगमन होता है। विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने भी मंदिर में आकर रामकथा के दर्शन किए एवं मंदिर के विषय में जानकारी हासिल की। 

मंत्रों से गूंजती है यज्ञशाला
मंदिर में हर वर्ष दो बार विश्व शांति के लिए श्रीराम महायज्ञ का आयोजन होता है। मंदिर के पास यज्ञशाला न होने के कारण भक्तों को अस्थायी स्वरूप की यज्ञशाला में यज्ञ करना पड़ता था, लेकिन अब मंदिर में व्यापक स्वरूप में यज्ञशाला का निर्माण किया गया है जिसमें भक्तों को यज्ञ करने में सुविधा हो रही है। इसी तरह मंदिर में गौ सेवा का काम भी जोर शोर से चल रहा है। महंत मदनमोहनदास महात्यागी के मार्गदर्शन में मंदिर का उत्तरोत्तर विकास हो रहा है। मंदिर में संस्कृत पाठशाला एवं गौसेवा का विस्तार करने की भी योजना है। 

एक ही स्थान पर चारधाम
महंत नृसिंहदास महात्यागी की संकल्पना थी कि चारों धाम के दर्शन एक ही जगह सुलभता से हों। इसके लिए उन्होंने सर्वप्रथम मंदिर के दक्षिण पूर्वी कोण पर रामेश्वर धाम की स्थापना की। इस धाम में भगवान शिव एवं नंदी की भव्य मूर्ति है। नृसिंहदास महात्यागी के कार्यकाल में इस मंदिर का कार्य पूर्ण हो गया। इसी तरह महंत नृसिंहदास महात्यागी के मार्गदर्शन में मंदिर का व्यापक जीर्णोध्दार भी किया गया। महंत नृसिंहदास के इस कार्य को महंत मदनमोहनदास महात्यागी ने जारी रखा। तथा मंदिर में शेष तीनों धाम का कार्य पूर्ण हो गया है। मंदिर पहुंचने के बाद भक्तों को जहां चार धाम दर्शन का लाभ मिलता है।

Created On :   7 Oct 2017 12:06 PM IST

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