बच्चों के निजी विकास व भलाई के लिए माता पिता के साथ दादा-दादी का प्रेम और स्नेह जरूरी

Love of grandparents along with parents is necessary for personal development of children
बच्चों के निजी विकास व भलाई के लिए माता पिता के साथ दादा-दादी का प्रेम और स्नेह जरूरी
हाईकोर्ट बच्चों के निजी विकास व भलाई के लिए माता पिता के साथ दादा-दादी का प्रेम और स्नेह जरूरी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बच्चे अपने माता और पिता के प्रेम एवं स्नेह के अलावा दादा दादी की दुलार का भी हक़ रखते हैं। यह बच्चों के निजी विकास व भलाई के लिए जरूरी है। यह बात कहते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने वैवाहिक विवाद के चलते अलग रह रही महिला को बच्चों को अंशकालिक समय के लिए पिता को सौंपने का निर्देश दिया है। जिससे पिता बच्चों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिता सके। पिता ने बच्चों को सौंपने(कस्टडी)  की मांग को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में पिता ने दावा किया था कि उसे जून 2020 से अपने बच्चों से मिलने का मौका नहीं मिला है। न्यायमूर्ति अनुजा प्रभु देसाई के सामने पिता के आवेदन पर सुनवाई हुई। 

इस दौरान याचिकाकर्ता (पिता) की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अजिंक्य उड़ाने ने कहा कि मेरे मुवक्किल के माता पिता की सेहत ठीक नहीं है। इस लिए वे अपने पोतों से मिलने की इच्छा रखते है। उन्होंने न्यायमूर्ति को बताया कि मार्च 2022 को हाईकोर्ट ने बच्चों की माँ को बच्चों को पिता को सौंपने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद बच्चों को नहीं सौपा गया है। 

इन दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि बच्चे अपने माता व पिता के प्रेम एवं स्नेह के अलावा दादा दादी की दुलार का भी हक़ रखते है। यह बच्चों के निजी विकास व भलाई के लिए जरूरी है। इसके साथ ही  न्यायमूर्ति ने बच्चों को दो दिन के लिए पिता को सौंपने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति ने कहा कि पिता को बच्चों के साथ समय बिताने से वंचित नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति ने मामले से जुड़े पक्षकारो के विवाद को सुलझाने के लिए हाई कोर्ट की पूर्व न्यायमूर्ति को मध्यस्थ के तौर पर नियुक्त किया है। ताकि मामले को आपसी सहमति व समझौते के तहत सुलझया जा सके। 

 

Created On :   15 April 2022 9:51 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story