डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है महाराष्ट्र सरकार, हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी 

Maharashtra government is not serious about the safety of doctors High court expressed resentment
डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है महाराष्ट्र सरकार, हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी 
डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है महाराष्ट्र सरकार, हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र सरकार अपने डॉक्टरों को मरीजों के परिजनों द्वारा किए जाने वाले हमले से सुरक्षा देने को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सरकार की ओर से दायर एक पन्ने के हलफनामे को देखने के बाद उपरोक्त बात कही। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से डॉक्टरों पर किए गए हमले को लेकर दर्ज की गई एफआईआर की जानकारी मंगाई थी। इसके साथ ही सरकार को स्पष्ट करने को कहा था कि उसने डॉक्टरों की सुरक्षा के बारे में कौन से कदम उठाए हैं। लेकिन सरकार की ओर से दायर किए गए हलफनामे में सिर्फ सामान्य बाते कही गई हैं और महाराष्ट्र मेडिकेयर सर्विस, पर्सन एंड मेडिकेयर इंस्टिट्यूशएन एक्ट की प्रति जोड़ी गई है। हलफनामे में कहा गया है कि राज्यभर में डॉक्टरों पर हमले को लेकर 436 मामले दर्ज किए गए थे। लेकिन इन मामलों का कोई ब्यौरा नहीं दिया गया था। 

खंडपीठ ने कहा कि यह हैरानीपूर्ण है कि इस मामले में एक पन्ने का हलफनामा दायर किया गया है। इस मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। यह बेहद निराशाजनक है। खंडपीठ ने अब राज्य के स्वास्थ्य विभाग के उपसचिव को इस बारे में हलफनामा दायर करने को कहा है और हलफनामे में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर दिए गए सुझावों पर भी अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। डॉक्टरों की सुरक्षा के मुद्दे को लेकर डॉक्टर राजीव जोशी ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। कोर्ट ने अब याचिका पर सुनवाई 27 मई 2021 तक के लिए स्थगित कर दी है। 


 

Created On :   19 May 2021 8:02 PM IST

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