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महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी एसबीसीसी की अंतरिम रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय के चुनावों में ओबीसी को आरक्षण देने के मसले पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) द्वारा तैयार की गई अंतरिम रिपोर्ट को राज्य सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी है। यह रिपोर्ट इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आयोग की इस रिपोर्ट के आधार पर ही यह तय होगा कि ओबीसी को निकाय चुनाव में आरक्षण दिया जा सकता है या नहीं। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने बीते 17 जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह ओबीसी का डाटा एसबीसीसी के पास जमा करें, ताकि आयोग इसकी जांच कर सके और स्थानीय निकाय के चुनावों में उनकी प्रस्तुति के लिए सिफारिशें दे सके। सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले में सुनवाई होनी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया है। हालांकि, कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख नहीं बताई है। महाराष्ट्र सरकार के वकील के मुताबिक कोर्ट मामले में संभवत: इसी सप्ताह फैसला सुना सकता है।
ओबीसी डेटा को लेकर स्थिति स्पष्ट करे सरकार- सुले
दूसरी ओर राष्ट्रवादी कांग्रेस की सांसद सुप्रिया सुले ने ओबीसी डेटा को लेकर सवाल खड़ा करते हुए सरकार से इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार की ओबीसी का इम्पीरिकल डेटा मुहैया कराने की मांग को यह कहते हुए पूरी करने से इंकार किया था कि डेटा में कई त्रृटियां है। वहीं भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त और गृह मंत्रालय द्वारा स्थायी समिति को दिया गया डेटा की जांच के बाद समिति कहती है कि ओबीसी व्यक्तियों की जाति और धर्म पर 98.87 प्रतिशत डेटा त्रृटि मुक्त है। सांसद सुले ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि संसद में जो डेटा 98.78 प्रतिशत त्रृटि रहित है तो सुप्रीम कोर्ट में वह त्रृटियुक्त कैसे हो सकता है। उन्होंने संदन में मांग उठाई कि सरकार इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें। क्योंकि महाराष्ट्र के 56 हजार लोग और देशभर में 9 लाख लोग इस आरक्षण से वंचित है जो चुनाव लड़ना चाहते। इसलिए सरकार ने उसके द्वारा सुप्रीम कोर्ट में कहीं गई बात सही है या स्थायी समिति की बात इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहिए।
Created On :   8 Feb 2022 9:30 PM IST