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किसान आत्महत्या मामले में महाराष्ट्र आगे, सांसद तुमाने ने कहा- उपाययोजना के लिए कुछ ठोस नहीं हुआ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसान आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के समय राज्य में किसानों की स्थिति पर भाजपा आक्रामक भूमिका में थी, लेकिन भाजपा के नेतृत्व की युति सरकार में भी स्थिति नहीं बदली है। राज्य में 2014 से युति सरकार है। आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो 2013 से राज्य में किसान आत्महत्या के मामले देश के अन्य राज्यों की तुलना में अधिक हैं। केंद्र व राज्य सरकार किसानों के हित के लिए विविध कल्याणकारी योजनाएं चला रही है, लेकिन उन योजनाओं का अमल नहीं हो पा रहा है।
रामटेक लोकसभा क्षेत्र से शिवसेना के सांसद कृपाल तुमाने के प्रश्न पर कृषि व कल्याणमंत्री राज्यमंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने लाेकसभा में दिए उत्तर में किसान आत्महत्या के आंकड़े सामने आए हैं। आंकड़ों के मुताबिक 2013 में महाराष्ट्र में 3146 किसानों ने आत्महत्या की। 2014 में किसान आत्महत्या के मामले बढ़कर 4004 हो गए। 2015 में राज्य में 4291 किसानों ने आत्महत्या की। इन आंकड़ों पर कृषि क्षेत्र के जानकारों ने चिंता व्यक्त की है। सरकार की ओेर से बताया गया है कि किसान आत्महत्या रोकने के लिए राज्य व जिला स्तर पर कमेटी गठित की गई है। कमेटी किसान आत्महत्या के मामलों की समीक्षा करके उपाय योजना करेगी।
इन राज्याें में सबसे अधिक किसान आत्महत्या
राज्य |
2013 | 2014 |
2015 |
महाराष्ट्र |
3146 | 4004 |
4291 |
मध्यप्रदेश |
1090 | 1198 |
1290 |
कर्नाटक |
1403 | 768 |
1569 |
आंध्रप्रदेश |
1014 | 632 |
916 |
गुजरात |
582 | 600 |
301 |
राजस्थान |
292 | 373 |
76 |
पैकेज का नहीं मिला लाभ
रामटेक से लोकसभा सदस्य कृपाल तुमाने का कहना है कि राज्य में किसानों को राहत देने के लिए पैकेज की घोषणाएं तो की गई पर उनका लाभ नहीं मिल पाया है। कांग्रेस सरकार के समय कर्जमाफी पैकेज का लाभ कुछ खास वर्गों तक सीमित रहा। उसके बाद भी किसान आत्महत्या रोकने की उपाययोजनाओं का सही अमल नहीं हो पाया है। किसानों को कृषि उपज का समुचित भाव भी नहीं मिल पाता है। विविध योजनाओं के अमल की निगरानी व नियंत्रण का ठोस प्रयास नहीं दिख रहा है।
Created On :   19 Aug 2018 2:26 PM IST