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एट्रोसिटी के मामलों में 12 वें नंबर पर महाराष्ट्र, हिंदी भाषी राज्यों की स्थिति खराब
डिजिटल डेस्क, मुंबई। दुष्यंत मिश्र। राज्य इन दिनों जातीय हिंसा की चपेट में है। दलित संगठन आरोप लगा रहे हैं कि राज्य में दलित उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रहीं हैं। हालांकि हाल ही में सामने आए नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े इस बात की पुष्टि नहीं करते। लेकिन आंकड़ों से यह भी साफ है कि दलित उत्पीड़न के मामले में राज्य के हालात में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। राज्य में एट्रोसिटी एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामलों को आधार माने तो 29 राज्यों महाराष्ट्र 12वें नंबर पर है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में देश के 29 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों में एट्रोसिटी के 40 हजार 801 मामले दर्ज किए गए थे। जो साल 2014 के 40 हजार 401 व साल 2015 के 38 हजार 670 के मुकाबले ज्यादा थे।
2016 में आबादी के अनुपात में मामले
2016 में आबादी के अनुपात में 4922 मामलों के साथ मध्य प्रदेश सबसे आगे था। जबकि दर्ज मामलों के हिसाब से 10 हजार 426 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर था। साल 2016 में महाराष्ट्र में एट्रोसिटी कानून के तहत 1750 मामले दर्ज किए गए। जबकि साल 2015 में इसकी संख्या 1804 और साल 2014 में 1768 मामले एट्रोसिटी कानून के तहत दर्ज हुए हैं। आंकड़ों से साफ है कि दलित उत्पीड़न के मामले में पिछले सालों के मुकाबले थोड़ा बहुत सुधार नजर आया है लेकिन इसे उल्लेखनीय नहीं माना जा सकता। इस मामले में सबसे बेहतर स्थिति अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड की स्थिति सबसे बेहतर है यहां 2014 से 2016 के बीच एट्रोसिटी का एक भी मामला सामने नहीं आया। जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे हिंदी भाषी प्रदेशों के हालात सबसे बदतर हैं। गुजरात और गोवा जैसे राज्यों में ऐसे मामलों की संख्या कम है लेकिन आबादी के हिसाब से दोनों राज्य सूची में तीसरे और पांचवे नंबर पर हैं।
राज्य के शहरों की हालत कुछ बेहतर
देश के 19 बड़े शहरों में एट्रोसिटी कानून के तहत दर्ज होने वाले मामलों की तुलना करें तो यहां भी राज्य के तीन बड़े शहरों की स्थिति अन्य के मुकाबले बेहतर हैं। जिस पुणे से जातीय हिंसा की शुरूआत हुई वहां साल 2016 में एट्रोसिटी कानून के तहत 41 मामले दर्ज हुए थे और सूची में 18वें नंबर पर है। हालांकि शहर में साल 2015 में दर्ज हुए 19 मामलों के मुकाबले ये काफी ज्यादा हैं। साल 2015 में पुणे में एट्रोसिटी के 55 मामले दर्ज किए गए थे। नागपुर में एट्रोसिटी एक्ट के तहत साल 2016 में 29 मामले दर्ज हुए थे जबकि उससे पहले 2015 में 27 और 2014 में 33 मामले दर्ज हुए थे। नागपुर इस सूची में 16वें नंबर पर है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एट्रोसिटी एक्ट के तहत 2016 में 30, 2015 में 34 और 2014 में 35 मामले दर्ज किए गए थे। लखनऊ, पटना और जयपुर में एट्रोसिटी कानून के तहत सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
एट्रोसिटी एक्ट के तहत दर्ज मामले
राज्य 2016 2015 2014
उत्तर प्रदेश 10426 8357 8066
बिहार 5701 6367 7886
मध्यप्रदेश 4922 3546 3294
राजस्थान 5134 5911 6735
महाराष्ट्र 1750 1804 1768
Created On :   10 Jan 2018 3:18 PM GMT