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इस परिवार का संदेेश - सेवा हमेशा सच्चे भाव से की जानी चाहिए

डिजिटल डेस्क, अमरावती। हमारे संस्कार, संस्कृति समाज का आधार स्तंभ होती है, सेवा हमेशा सच्चे भाव से की जाए। इसी तरह हमारा व्यवहार भी ऐसा हो, जो किसी के काम आए और कोई मायूस ना हो। यह मानना है डाॅ. सुरेंद्रसिंह राजकुमार का।
आपकी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण वह कौनसा पल था, जिसमें आपने सफलता पायी और वह किस तरह अपने आनेवाली पीढ़ी का मार्गदर्शन कर सकता है? मेरे पिता डॉक्टर थे और उनका जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। उन्होंने शुरुआत से ही मुझे डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित किया। उनके मार्गदर्शन से मंैने नागपुर में एमबीबीएस की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद निजी अस्पतालों में कार्य किया। लेकिन जब अमरावती जिला परिषद में बतौर स्वास्थ्य निरीक्षक पद पर नियुक्त हुआ। यही मेरी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण पल रहा है। लगभग 23 वर्ष मैंने इस सेवा को अंजाम दिया।
आपने जो अपनी विरासत संजोई है और जिंदगी में जो अनुभव प्राप्त किए है, वे किस तरह भविष्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते है?
मेरे पिता ने हमेशा कहते रहे है, दुनिया में किसी भी क्षेत्र में काम करो, लेकिन अपनी पहचान और बीते दिनों को मत भूलो। जिस वक्त मैं शासकीय कार्य कर रहा था, तो मैं इस बात को हमेशा सुनिश्चित करता था कि, मेरे पास आया कोई व्यक्ति मायूस ना जाए। किंतु जीवन में सब कुछ हमारे हाथ में नहीं होता है, कई बार हम चाहकर भी वह नहीं कर सकते। मेरे जीवन का यही उद्देश्य है कि हम दूसरे के काम आए।
अपने शहर, समाज और देश के लिए अब क्या करना चाहते है और यह भी बताइए कि आज की पीढ़ी को क्या करने की जरूरत है?
अमरावती शहर और जिले की पहचान सांस्कृतिक नगरी के रूप में हंै। ऐसे में नई पीढ़ी इस संस्कृति से जुड़ी रहे, आधुनिक दौर में अपने मूल्यों को ना खोए। मैंने अपने दोनों बेटों और बहुओं को भी यही शिक्षा दी हैं और मैं चाहता हूं कि मेरे पोते ओर पोती भी इसी मार्ग पर चले। सेवा हमेशा सच्चे भाव से की जाए, चाहे सरकारी विभाग हो या निजी। मैने हमेशा अपने परिवार को ईमानदारी का पाठ पढ़ाया है।
Created On :   1 Nov 2021 6:15 PM IST