महीने भर से नहीं बन रहा मध्यान्ह भोजन, बच्चे रहते हैं भूखे

Mid day meal not prepared a months, students stay hungry
महीने भर से नहीं बन रहा मध्यान्ह भोजन, बच्चे रहते हैं भूखे
महीने भर से नहीं बन रहा मध्यान्ह भोजन, बच्चे रहते हैं भूखे

डिजिटल डेस्क,शहडोल। जिले के बुढ़ार ब्लॉक अंतर्गत दर्जनों शासकीय स्कूलों में मध्यान्ह भोजन नहीं बन रहा है। नया शैक्षिक सत्र चालू होने के बाद से गरीब बच्चे स्कूल पहुंचते हैं लेकिन उन्हें बिना भोजन के ही पढ़ाई करना पड़ रहा है। बुढ़ार ब्लाक अंतर्गत रसमोहनी से लगे प्राथमिक विद्यालय इंदिरा आवास भोगड़ा 24 जून से 9 जुलाई तक समूह द्वारा बच्चों को भोजन उपलब्ध कराया गया। फिर 17 जुलाई से आज दिनांक तक स्कूल में खाना नहीं बना। सहायक अध्यापक कमलेश सिंह द्वारा बताया गया कि बच्चे दूर-दूर से पढ़ने आते हैं और भूखे रह जाते हैं। इसकी सूचना प्रधानाध्यापक द्वारा संकुल में 22 जुलाई को दिया गया था। इसके बाद 23 जुलाई को सीएसी द्वारा स्कूल में जाकर पंचनामा तैयार किया गया। जहां पाया गया कि यहां मध्यान भोजन नहीं बनता है। इस स्कूल में 29 बच्चे बच्चे दर्ज हैं। इन तीनों स्कूलों में गांधी स्व सहायता समूह बरगवां 24 के द्वारा यहां मध्यान भोजन दिया जाता है। 
 

समूह का कहना था कि चावल खत्म हो गया 
इसी प्रकार शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय व प्राथमिक विद्यालय भांगड़ा में आज स्कूल में मध्यान्ह भोजन नहीं बनाया गया। प्राथमिक में 18 और माध्यमिक में 76 बच्चे दर्ज हैं। स्कूल के प्रधानाध्यापक चरण दास साहू से बात की गई तो उन्होंने बताया गया कि समूह का कहना था कि चावल खत्म हो गया है। यहां गायत्री समूह के द्वारा डुमरिया टोला भगोड़ा में मध्यान भोजन दिया जाता है। 
 

यहां भी नहीं बन रहा भोजन
बुढ़ार ब्लाक के ही बरगवां 24 अंतर्गत भुसहा शासकीय स्कूल में 60 बच्चे दर्ज हैं। नरबसिहाटोला में 50 तथा छिंदहन टोला में दर्ज 40 बच्चों को मध्यान्ह भोजन नहीं मिल रहा है। जनपद बुढ़ार अतर्गत 102 ग्राम पंचायतों में से आधे से ज्यादा पंचायतों का यही हाल है। छात्र राकेश सिंह, सचिन सिंह, राजू सिंह, दीन दयाल सिंह, नयन कुमार यादव कक्षा 8 के छात्र जो 2 किलोमीटर दूर से पढ़ने यहां आते हैं और बिना भोजन के ही लौट जा रहे हैं।
 

न मानीटरिंग न कार्रवाई
एमडीएम को लेकर ब्लाक अंतर्गत न तो मॉनीटरिंग ही की जा रही है और न ही समूहों की मनमानी पर कोई कार्रवाई की जा रही है। एमडीएम का संचालन करने वाले समूहों का कहना है कि उन्हें राशन और मिलने वाली राशि मुहैया नहीं हो रही है। लेकिन समूहों की इस तर्क की सच्चाई का पता लगाने के लिए संबंधित विभाग के पास फुर्सत तक नहीं है। व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए बीआरसी का भरा पूरा अमला है। इसके बाद सीएसी और संकुल हैं, लेकिन इनके द्वारा गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि यदि समूह राशि नहीं मिलने की बात कह रहे हैं तो वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार क्यों नहीं हो रहा है। गरीब बच्चों के निवाले पर प्रशासन की चुप्पी समझ से परे है।
 

इनका कहना है
मध्यान्ह भोजन की मानीटरिंग करने के लिए बीआरसी का है। मध्यान्ह भोजन कितने दिनों से नहीं मिल रहा है इसकी जानकारी भी मुझे नहीं दी गई। मैं पता लगाता हूं कि कहां गड़बड़ी हो रही है। अशोक शर्मा, बीईओ बुढ़ार
 

Created On :   25 July 2019 7:42 AM GMT

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