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खनिज माफिया के सरकारी गठजोड़ को बड़ा झटका - सीजेएम कोर्ट का स्वसंज्ञान, एफआईआर कराने का आदेश
डिजिटल डेस्क सतना। जिले में खनिज संपदा की चोरी की बढ़ती घटनाओं और ऐसे मामलों में दोषियों को सिर्फ अर्थदंड देकर मुक्त कर देने के मसलों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सीजेएम उमेश कुमार पटेल की अदालत ने न केवल जिला खनिज कार्यालय से एक जनवरी 2019 से अभी तक के ऐसे सभी प्रकरणों का ब्यौरा तलब किया है, बल्कि अदालत ने सभी संबंधितों (वाहन मालिक और ड्राइवर) के विरुद्ध संबंधित थानों में आईपीसी की धारा 379 तथा 414 के तहत अपराध दर्ज कराते हुए अदालत को हर माह की 5 तारीख तक प्रकरणवार की गई कार्यवाही से अवगत कराने के भी आदेश दिए हैं। सीजेएम कोर्ट ने ये कदम एमपी हाईकोर्ट के दिशा- निर्देशों के अनुपालन के अंतर्गत उठाए हैं।
अब मिलेगी चोरी की भी सजा
खनिज संपदा के अवैध उत्खनन और परिवहन पर खनिज विभाग, पुलिस और राजस्व अमले के साथ खनिज माफिया का गठजोड़ किसी से छिपा नहीं है। आमतौर पर खनिज के अवैध और उत्खनन में पकड़ में आने वाले वाहनों के प्रकरणों से पेनाल्टी के साथ रायल्टी वसूल कर प्रकरणों पर खारिज खात्मा लगा दिया जाता था। ऐसे में शासन के राजस्व की क्षतिपूर्ति तो हो जाती थी, मगर दोष सिद्ध अपराधी खनिज संपदा की चोरी के अपराध से बच जाते थे। वर्ष 2013 में जब ऐसे प्रकरण सुप्रीम कोर्ट के ध्यान में आए तो सर्वोच्च अदालत ने इन केसों पर आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा- 379 तथा 414 के तहत संबंधित थानों में अपराध दर्ज कराए जाने की व्यवस्था दी। सुप्रीम कोर्ट के इन्हीं दिशा निर्देशों के क्रियान्वयन को एमपी हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया और इस तरह से यहां की सीजेएम कोर्ट ने भी यहां ऐसे प्रकरणों पर स्वत: संज्ञान लिया। स्पष्ट है कि अब वाहन के चालक और वाहन मालिक को खनिज संपदा की चोरी की भी सजा मिलेगी।
हर माह देनी होगी जानकारी :———-
खनिज संपदा के अवैध उत्खनन और परिवहन के मामलों में अब खनिज विभाग को न केवल संबंधित पुलिस थानों में अपराध दर्ज कराने होंगे,बल्कि की गई कार्यवाही से हर माह की 5 तारीख को सीजेएम कोर्ट को ब्यौरा देकर वस्तु स्थिति से अवगत भी कराना होगा। सीजेएम कोर्ट ये ब्यौरा नियमित रुप से उच्च न्यायालय को भेजेगी।
Created On :   4 Jun 2020 10:19 AM GMT