नाडार परियोजना को लेकर शिवसेना-भाजपा में जंग तेज, देसाई की घोषणा से नाराज हुए सीएम 

Minister Desai announced cancellation of notification, CM denied
नाडार परियोजना को लेकर शिवसेना-भाजपा में जंग तेज, देसाई की घोषणा से नाराज हुए सीएम 
नाडार परियोजना को लेकर शिवसेना-भाजपा में जंग तेज, देसाई की घोषणा से नाराज हुए सीएम 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोंकण के रत्नागिरी में प्रस्तावित ग्रीन रिफायनरी परियोजना को लेकर प्रदेश सरकार दो फाड़ होती नजर आ रही है। इस परियोजना को लेकर शिवसेना-भाजपा की जंग अब तेज होने के आसार हैं। सोमवार को रत्नागिरी के नाणार में पार्टी की तरफ से आयोजित सभा में प्रदेश के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने रिफायनरी परियोजना के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से जारी भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना को रद्द करने की घोषणा की। जबकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह कहते हुए अधिसूचना रद्द किए जाने से इंकार किया कि मंत्री के पास इसे रद्द करने का अधिकार ही नहीं है।

उद्योग मंत्री देसाई की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिसूचना रद्द करने का अधिकार कैबिनेट मंत्री को नहीं है। यह अधिकार राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली उच्च अधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) के पास होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्री देसाई ने अधिसूचना रद्द करने के बारे में जो घोषणा की है वह उनका व्यक्तिगत विचार है। यह प्रदेश सरकार का विचार नहीं है। हम सरकार का विचार महाराष्ट्र और कोंकण वासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए तय करेंगे। 

सीएम ने कहा कि मंत्री को ऐसा करने का अधिकार नहीं 
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार कोंकण वासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए अंतिम फैसला करेगी। इससे पहले देसाई ने शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में रत्नागिरी की सभा में कहा कि सरकार ने परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण करने के लिए जो मूल अधिसूचना जारी किया है, उसको मैं रद्द करने की घोषणा करता हूं। देसाई ने कहा कि मैंने विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान ही कहा था कि किसी भी परिस्थिति में परियोजना पूरी नहीं हो सकती। लेकिन इसके बावजूद कुछ शंकाखोरों ने मुझसे पूछा कि यदि परियोजना को जबरन थोपा गया तब क्या करेंगे। तो मैंने क्षण भर का इंतजार किए बिना गया कि मैं मंत्री पद से इस्तीफा दे दुंगा लेकिन कोंकण की जनता के साथ खड़ा रहूंगा। 

विभाग के पास अधिसूचना रद्द करने का प्रस्ताव नहीं 
प्रदेश के उद्योग मंत्री ने भले ही भूमिअधिग्रहण की अधिसूचना रद्द करने की घोषणा की है लेकिन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार उद्योग विभाग के पास अधिसूचना रद्द करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। जानकारी के मुताबित यदि इससे संबंधि प्रस्ताव आता भी है तो अधिसूचना रद्द करने में कम से कम डेढ़ महीने का समय लगेगा। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अधिसूचना रद्द करने की लंबी प्रक्रिया है। यदि जल्द गति से यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी फिर भी डेढ़ महीने का समय इसमें लगेगा। जानकारी के अनुसार सबसे पहले एमआईडीसी को अधिसूचना रद्द करने के बारे में मंत्रालय में उद्योग विभाग के कक्ष अधिकारी के पास प्रस्ताव भेजना पड़ता है।

इसके बाद कक्ष अधिकारी विभाग के उपसचिव के पास प्रस्ताव भेजता है। इसके बाद विभाग के सचिव को प्रस्ताव उद्योग मंत्री की मंजूरी के लिए भेजना होता है। उद्योग मंत्री के फैसले के बाद फिर से इस प्रस्ताव को सचिव और उपसचिव के पास भेजना होता है। उपसचिव की मंजूरी से इसे रद्द करने संबंधित अधिसूचना प्रकाशित किया जाता है। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार कैबिनेट मंत्री को अपने विभाग की तरफ से जारी अधिसूचना रद्द करने का अधिकार होता है। कैबिनेट मंत्री अपने स्तर पर फैसला ले सकते हैं। इससे संबंधित प्रस्ताव को राज्य मंत्रिमंडल में ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। 

Created On :   23 April 2018 2:56 PM GMT

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