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‘दलित’ शब्द का प्रयोग हो सकता है बंद, सरकार कर रही विचार
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में दायर एक जनहित याचिका में ‘दलित’ शब्द का प्रयोग रोकने की मांग की गई थी। इस मामले में बुधवार को राज्य सरकार ने अपना जवाब पेश किया। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया है कि राज्य सरकार सभी प्रशासकीय रिकार्ड से ‘दलित’ शब्द हटाने पर सकारात्मक विचार कर रही है। इसी विषय पर राज्य सरकार ने एक बैठक भी बुलाई है। सरकार ने यह भी बताया कि उन्होंने अब तक दो योजनाओं से ‘दलित’ शब्द हटा दिया है। इससे लेकर सरकार गंभीरता बरत रही है।
हाईकोर्ट में दी जानकारी, बताया-दो योजनाओं से ‘दलित’ शब्द हटाया
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता पंकज मेश्राम की दलील थी कि ‘दलित’ शब्द आपत्तिजनक और असंवैधानिक है। इसके प्रयोग से जातिवाद और भेदभाव झलकता है। खुद बाबासाहब आंबेडकर ‘दलित’ शब्द के प्रयोग के विरोध में थे। याचिका में सरकारी कामकाज, प्रसार माध्यमों और अन्य किसी के भी द्वारा इस शब्द के प्रयोग पर रोक लगाने की प्रार्थना की गई थी। हालांकि इस शब्द को लेकर पहले भी विरोध जताया जा चुका है।
यह था मुद्दा, "नवबुद्ध" शब्द के प्रयोग की अपील
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में सुझाव दिया था कि अब "दलित" की जगह "नवबुद्ध" शब्द का प्रयोग किया जाए, क्योंकि अनुसूचित जाति आयोग ने ‘दलित’ शब्द के प्रयोग को जातिवाचक और आक्षेपजनक माना है। इसके प्रयोग से संविधान के आर्टिकल 14,15,16,17,18,19,21, 341 का उल्लंघन होता है। सरकारी दस्तावेजों, परिपत्रक, अधिसूचना, योजनाओं में इसके प्रयोग को रोकने के लिए कई बार सरकार को निवेदन दिया गया। कई संगठनों ने 7 दिसंबर 2013, 27 जून 2014, 18 मार्च 2015, और 15 मार्च 2016 को सरकार को निवेदन भी सौंपे, मगर इसके प्रयोग को रोकने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। सरकार ने यह भी बताया कि उन्होंने अब तक दो योजनाओं से ‘दलित’ शब्द हटा दिया है। इससे लेकर सरकार गंभीरता बरत रही है।
Created On :   29 Nov 2017 4:43 PM GMT