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30 वर्षों में 1700 से अधिक लावारिश शवों का किया अंतिम संस्कार
गणतंत्र के गौरव - जिनका कोई नहीं उनका विधि-विधान से अंतिम संस्कार करते हैं रंजीत बसाक
डिजिटल डेस्क शहडोल । देश को आजादी दिलाने के लिए जहां असंख्या लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। वहीं गणतंत्र को अछुण्य बनाए रखने के लिए अनेक समाजसेवी अपना सब कुछ दांव पर लगाने को तैयार रहते हैं। इन्हीं में से एक हैं नगर के रंजीत बसाक, जो पीडि़त मानवता की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर चुके हैं। मानवता के प्रति सेवा के प्रति लगन काअंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे अब 1700 से अधिक लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करा चुके हैं। एक शव वाहन तथा घायल मवेशियों की सेवा के लिए भी एक वाहन मुहैया कराया है। यही नहीं जरूरतमंदों की सहायता के लिए हर महीने पेंशन भी देते हैं।
1990 से की थी शुरुआत, धर्म-संप्रदाय नहीं आता आड़े
प्रिटिंग व्यवसाय से जुड़े रंजीत बसाक ने लावारिश शवों के अंतिम संस्कार का बीड़ा वर्ष 1990 से उठाया। इसके पीछे उनके सामने एक वाकया हुआ था, इसके बाद उन्होंने ठाना कि जिनका कोई नहीं, उन शवों को विधि विधान से संस्कार करेंगे। आज से 30 वर्ष पहले एक सेवा निवृत्त फौजी अकेले रहते थे। उसी समय शहर में पहला आश्रम संचालित हुआ, जहां बुजुर्गों व बेहसहारों को रखा जाता था। उन्हें वहीं रखवाया। उनकी मौत के बाद नगरपालिका में सूचना देने को कहा गया, लेकिन उनके मन में आया कि क्यों न मैं ही अंतिम संस्कार कराउं। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जहां भी जानकारी मिलती है पहुंचकर शवों का विधि विधिान से संस्कार कराते हैं। रंजीत मानते हैं कि कोई भी शव लावारिश नहीं होता। समाज का हिस्सा वह भी होता है जो अकेले रहते हैं। उस इंसान के लिए कितनी अजीब स्थिति बनती है जब अकेलेपन के बाद उसकी मौत होती है।
गौवंश सेवा में भी पीछे नहीं
समाजसेवी रंजीत बसाक मूक मवेशियों की सेवा में भी पीछे नहीं हैं। उन्होंने स्वयं का एक वाहन शवों को लाने ले जाने के लिए जरूरतमंदों के लिए उपलब्ध कराया हुआ है। शहर से 25 किलोमीटर के दायरे में नि:शुल्क रूप से कोई भी शवों को ले जाने के लिए वाहन का उपयोग कर सकता है। लोग इसका लाभ उठा भी रहे हैं। वहीं मवेशियों की सेवा के लिए भी एक अलग से वाहन दिया हुआ है। सड़क हादसों व अन्य किसी वजह से चोटिल हुए मवेशियों को कल्याणपुर स्थित गौसेवा संस्थान तक पहुंचाने के लिए इस वाहन का उपयोग किया जाता है।
18 लोगों को देते हैं 500 रुपए की पेंशन
बेसहारा व जरूरतमंदों की मदद के लिए रंजीत बसाक रुपए भी खर्च करते हैं। जिले के ऐसे 18 लोगों को हर महीने 500 रुपए बतौर पेंशन के रूप में मदद करते हैं जो निहायत ही जरूरतमंद हैं। उन्होंने ऐसी व्यवस्था की है कि हर महीने की 1 से 10 तारीख के बीच में सभी 18 लोग पहुंचते हैं और 500 रुपए लेकर चले जाते हैं। रंजीत ने बताया कि उनका लक्ष्य है कि वे कम से 100 लोगों को हर महीने पेंशन के रूप में मदद करें।
Created On :   25 Jan 2021 5:56 PM IST