खतरनाक इमारतों से अनजान मनपा, जीर्ण इमारतों की लिस्ट तक नहीं

Municipal corporation has no knowledge of dilapidated buildings
खतरनाक इमारतों से अनजान मनपा, जीर्ण इमारतों की लिस्ट तक नहीं
खतरनाक इमारतों से अनजान मनपा, जीर्ण इमारतों की लिस्ट तक नहीं

डिजिटल डेस्क,नागपुर। शहर में अनेक इमारतें जीर्ण हो चुकी हैं। ऐसी इमारतों के आस-पास रहने वालों की जान खतरे में हैं, मगर मनपा प्रशासन इस खतरे से अनजान है। अग्निशमन विभाग के पास जीर्ण इमारतों की सूची तक नहीं है। सूत्र बताते हैं कि सभी जोन को पत्र भेजकर सूची मंगवाई गई, लेकिन किसी भी जोन के अधिकारी ने इसे तवज्जो नहीं दी। हैरत की बात यह है कि  मकान मालिक खुद जीर्ण इमारत तोड़ने की अनुमति के लिए जोन के चक्कर काट रहे हैं। उन्हें टालमटोल किए जाने की सूत्रों से जानकारी मिली है।

पिछले वर्ष 111  जीर्ण मकान थे
पिछले वर्ष जीर्ण मकानों की सूची में संख्या 111 मकान था। अतिक्रमण विभाग की ओर से इन मकानों को ढहाने की कार्रवाई की गई थी। इस वर्ष कार्रवाई ठंडे बस्ते में रहने से नागरिकों की जान को खतरा बना हुआ है। सतरंजीपुरा, मंगलवारी और गांधीबाग जोन में सर्वाधिक जीर्ण इमारतें बताई जाती हैं।

ऐसी है प्रक्रिया
हाल ही में मुंबई के डोंगरी परिसर में जीर्ण इमारत के ढह जाने से 12 लोगों की जान चली गई। बारिश का मौसम शुरू होने से पहले अग्निशमन विभाग की ओर से शहर की जीर्ण इमारतों का सर्वेक्षण कर सूची तैयार की जाती है। अग्निशमन विभाग ऐसे इमारतों का सर्वेक्षण कर सूची अतिक्रमण विभाग को भेजता है। अतिक्रमण विभाग संबंधित मकान मालिक को नोटिस देकर इमारत गिराने का आदेश देता है। मकान मालिक द्वारा मकान नहीं गिराए जाने पर अतिक्रमण विभाग जीर्ण मकान ढहाने की कार्रवाई करता है, मगर फिलहाल अतिक्रमण विभाग के पास सूची नहीं रहने से इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है। 

डेडलाइन पूरी, यूनिवर्सिटी की इमारत अधूरी
अमरावती रोड पर बन रही  नागपुर यूनिवर्सिटी की बढ़ी हुई डेडलाइन पूरी होने के बाद भी तैयार नहीं हो सकी। ठेकेदार कंपनी ने नागपुर विश्वविद्यालय को 16 जुलाई तक हर हाल में इमारत का कामकाज पूरा करके देने की हामी भरी थी, लेकिन अभी तक इमारत में फर्नीचर और इलेक्ट्रिक फिटिंग जैसे बहुत काम बाकी हैं। तमाम डेडलाइन बीत जाने के बाद विश्वविद्यालय ने ठेकेदार पर 15 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाने का दावा किया है। 

काम फिर भी नहीं पूरा
बता दें कि बजाज उद्योग समूह के कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी उपक्रम के तहत इमारत के निर्माणकार्य के लिए 15 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। इसमें यूनिवर्सिटी भी अपनी ओर से लागत लगा रहा है। वर्ष 2015 में राज्य मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसका शिलान्यास किया था। ठेकेदार कंपनी ने नागपुर यूनिवर्सिटी  को दिसंबर 2018 तक इमारत का कामकाज पूरा करने का आश्वासन दिया था। न देने पर 5 हजार रुपए प्रतिदिन की हिसाब से जुर्माना लगाने की बात तय हुई थी, लेकिन दिसंबर 2018 तक इमारत का कामकाज पूरा नहीं हुआ। इसके बाद ठेकेदार को 16 जुलाई तक की नई डेडलाइन दी गई थी। इसमें फिर काम पूरा नहीं हुआ। यूनिवर्सिटी  के प्रभारी कुलसचिव डॉ.नीरज खटी के अनुसार इमारत का काम पूरा होने में अभी डेढ़ से दो माह का वक्त और लगेगा। 

Created On :   19 July 2019 7:28 AM GMT

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