नागार्जुन ने हिमालय पर्वत से लाकर लगाई थी वनस्पतियां , रामटेक का पूरा अंबाला तालाब ही औषधिमय हो गया

Nagarjuna brought vegetation from the Himalayan mountains,entire Ambala pond of Ramtek became medicinal
नागार्जुन ने हिमालय पर्वत से लाकर लगाई थी वनस्पतियां , रामटेक का पूरा अंबाला तालाब ही औषधिमय हो गया
नागार्जुन ने हिमालय पर्वत से लाकर लगाई थी वनस्पतियां , रामटेक का पूरा अंबाला तालाब ही औषधिमय हो गया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बौद्ध धर्म उपासक देशों में द्वितीय गौतम बुद्ध माने जानेवाले आयुर्वेदाचार्य नागार्जुन की कर्मभूमि नागपुर जिले में रामटेक पर्वतमाला रही है। रामटेक तुमसर मार्ग पर नागार्जुन टेकड़ी विश्व स्तर पर बौद्ध धम्म उपासकों के लिए आस्था का केंद्र बनी है। नागार्जुन गुफा के बारे में दावा किया जाता है कि वहीं पर नागार्जुन ने धम्म साधना की। हिमालय पर्वत से लाई कई वनस्पतियों का टेकड़ी पर रोपण किया। नागार्जुन की रसशाला में बनने वाली औषधियों से उपचार होता था। जापान से आए भंते सुरेई ससाई ने नागार्जुन के इतिहास को सहेजे रखने का प्रयास किया है। नागार्जुन टेकड़ी के सामने ही बड़ा बुद्ध विहार बनाया गया है। उस विहार में भगवान बुद्ध के साथ नागार्जुन की प्रतिमा है। भारत में आने वाले बुद्धिस्ट पर्यटक इस विहार में अवश्य पहुंचते हैं। 

इतिहासकारों के अनुसार हर्षवर्धन राजा के समय चीन के बौद्ध यात्री ह्यूएनत्संग ने रामटेक के आचार्य नागार्जुन का विशेष उल्लेख किया था। सुहृल्लेख नामक ग्रंथ बौद्धिस्ट देशों में प्रख्यात है। ह्यूएनत्संग के अनुसार सुहृल्लेख का लेखन आचार्य नागार्जुन ने ही किया है। लिहाजा ह्यूएनत्संग ने भारत यात्रा के वर्णन में आचार्य नागार्जुन को दुनियों को आलोकित करनेवाली बौद्धिक रोशनी के 4 सूर्य में से पहला सूर्य कहा है। चीन, तिब्बत और मंगोलिया के सांस्कृतिक और धार्मिक क्षेत्र में आचार्य नागार्जुन की कृति का अमूल्य स्थान है। बौद्ध संस्कृत साहित्य में काव्य शैली में कारिका नामक शब्द रचना का सबसे पहले उपयोग करनेवाले शून्यवाद के प्रवर्तक के नाम से आचार्य नागार्जुन का उल्लेख किया जाता है। पाली व बौद्ध साहित्यतज्ञ डॉ. भरतसिंह उपाध्याय के अनुसार, जापान में एक अध्ययन संस्था में केवल आचार्य नागार्जुन की ग्रंथ संपदा का अध्ययन, अध्यापन और संशोधन किया जाता है। आचार्य नागार्जुन का चरित्र कुमारजीव ने ईसवी सन् 405 में चीनी भाषा में भाषांतरित किया है। 

विदर्भ से मिलता-जुलता मत
कुमारजीव के अनुसार नागार्जुन विदर्भ के कुलभूषण हैं। वे ब्राह्मण कुल में पैदा हुए थे। ह्यूएनत्संग दक्षिण कौशल को नागार्जुन की जन्मस्थली मानते हैं। भौगोलिक दृष्टि से उनका भी मत विदर्भ से मिलता जुलता है। बौद्ध साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन के अनुसार नागार्जुन ने युवावस्था में ही वेदों का ज्ञान लिया था। बाद में बौद्ध भिक्षु बने। बौद्ध धम्म के प्रचार के लिए नागार्जुन ने दक्षिण भारत में अधिक समय बिताए। नागार्जुन कोंडा व कृष्णा नदी के किनारे श्री शैल पर्वत पर ऐतिहासिक विहार व स्तूप नागार्जुन की लीलास्थली मानी जाती है। नागार्जुन की साहित्य रचनाओं में माध्यमिक कारिका, विग्रह व्यावर्तने, संस्कृत में दशभूमि विभाषा शास्त्र, महाप्रज्ञापारमिता सूत्र कारिका शास्त्र, उपायकौशल, प्रमाण विध्वंस, व युक्ति षष्टिका शामिल है। 

रोग भगाने तालाब किनारे आकर रहते थे लोग
नागार्जुन के इतिहास के जानकारों के अनुसार रामटेक में अंबाला तालाब की पहचान कुष्टरोग सहित अन्य रोगों की मुक्ति स्थल के तौर पर रही है। नागार्जुन टेकड़ी की वनस्पति के रसगुण का रिसाव अंबाला तालाब के पानी में होता था। लिहाजा वह पानी ही औषधि के रूप में उपयोग में लाया जाता है। वहां उपचार लाभ लेने के लिए दूर-दूर से लोग आकर कुछ दिनों के लिए तालाब किनारे झोपड़े बनाकर रहते थे। नागार्जुन टेकड़ी पर आध्यात्मिक साधना होती थी। साथ ही यहां आयुर्वेदाचार्य तैयार होते थे। रामटेक के आसपास के गांवों में भी कई आयुर्वेदाचार्य हुए। 

पानी का उपयोग करने से बीमारियां ठीक होती थीं
नागार्जुन टेकड़ी की वनस्पति के रसगुण का रिसाव अंबाला तालाब के पानी में होता था, इस कारण कुष्ठरोग सहित अन्य रोगों की मुक्ति के लिए यहां लोग पानी का इस्तेमाल करने आते और कुछ दिन बाद ठीक होकर जाते

इनका कहना है
नहीं मिल पाई प्रसिद्धि
आयुर्वेदाचार्य नागार्जुन को विदेश में जितनी प्रसिद्धि मिली उतनी अपने देश में नहीं मिल पाई। चिकित्सक व धम्म प्रचारक के तौर पर नागार्जुन मानव जीवन को तन-मन से स्वस्थ रहने की सीख देते हैं। नागार्जुन के रामटेक के इतिहास को कई जानकारों ने प्रमाणित किया है। - डॉ. भाऊ लोखंडे, पूर्व विभागाध्यक्ष आंबेडकर अभ्यासन नागपुर विश्वविद्यालय

परंपरा को आगे बढ़ाया
बौद्ध भिक्षु के आचार विचार के बारे में भगवान बुद्ध के समय विनयपिटक लिखा गया। विनयपिटक के भैसज स्कंद में 60 पन्नों में चिकित्सा प्रणाली पर लिखा गया है। विनयपिटक लिखित उपचार परंपरा को आगे बढ़ाने में नागार्जुन का योगदान रहा है। चीन में आयुर्वेद उपचार प्रणाली विकसित है। - प्रकाश गोविंदवार, सामाजिक कार्यकर्ता

स्मारक बनाने का प्रयास
रामटेक में नागार्जुन स्मारक बनाने की मांग की जाती रही है। चंद्रनाग नारनवरे ने इस मामले में प्रयास भी किया था। भंते सुरेई ससाई को वे रामटेक लेकर गए थे। बाद में ससाई ने नागार्जुन टेकड़ी विकसित करने का प्रयास किया, लेकिन विविध प्रयासों के बाद भी स्मारक नहीं बन पाया है। स्मारक बनाया जाना चाहिए। - सुखदेव नारनवरे, चंद्रनाग नारनवरे के पुत्र व धम्म सुगुति विपश्यना केंद्र सुगतनगर के संचालक
 

Created On :   10 Dec 2019 2:05 PM IST

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