प्रभाग रचना नई सीमाओं ने कइयों का खेल बिगाड़ा, कुछ सुरक्षित

Nagpur Municipal Election - Division creation New boundaries spoiled the game of many, some safe
प्रभाग रचना नई सीमाओं ने कइयों का खेल बिगाड़ा, कुछ सुरक्षित
नागपुर मनपा चुनाव प्रभाग रचना नई सीमाओं ने कइयों का खेल बिगाड़ा, कुछ सुरक्षित

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लंबे समय से प्रभाग रचना की प्रतीक्षा कर रहे जनप्रतिनिधि और इच्छुक उम्मीदवारों के लिए मंगलवार का दिन उत्साह भरा रहा। राज्य निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को नागपुर मनपा चुनाव के लिए प्रभाग रचना 2022 का नया प्रारूप जारी किया। 52 प्रभागों की सीमांकन के साथ उनकी कुल आबादी और अनुसूचित जाति-जनजाति की भी जनसंख्या घोषित की गई है। 52 प्रभागों की नई घोषणा से अनेक प्रभागों में बदलाव हुआ। जिन इलाकों में चुनाव के लिए तैयारी की जा रही थी, वे टूटकर दूसरे प्रभागों से जुड़ गए हैं।  कुछ प्रभाग 2-3 हिस्सों में बंटे, तो कुछ में नये इलाके जुड़ने से इच्छुकों को झटका लगा। कुछ सुरक्षित भी रहे। उनके पुराने इलाके जस की तस रहे, बल्कि जो नहीं चाहिए थे, वे भी निकल गए। 

एक विधानसभा में 24 से 26 नगरसेवक

प्रभागों की गणना उत्तर से पूर्व, पूर्व से पश्चिम, पश्चिम से दक्षिण और फिर उत्तर के क्रम से की गई है। इस अनुसार प्रत्येक विधानसभा में 7 प्रभाग होने का दावा किया गया है। एक-एक विधानसभा में 24 से 26 नगरसेवक हैं। फिलहाल 7 प्रभागों में अनुसूचित जाति और जनजाति की जनसंख्या समान अनुपात में दिखाई गई है। ऐसे में ये प्रभाग एससी और एसटी वर्ग के लिए आरक्षित होने का दावा पहले से किया जा रहा है। हालांकि एक प्रभाग की ज्यादा से ज्यादा 51 हजार और कम से कम 41 हजार जनसंख्या रहेगी। कुल 52 प्रभाग रहेंगे। 156 नगरसेवक चुने जाएंगे। इसमें 31 अनुसूचित जाति, 12 अनुसूचित जनजाति और 78 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगी। 26 प्रभाग ऐसे होंगे, जिसमें 2-2 नगरसेविकाएं होंगी। हालांकि आरक्षण निकलने के बाद यह स्पष्ट हो पाएगा कि कौन-सा प्रभाग किसके लिए आरक्षित होगा। इसका फैसला 2 मार्च के बाद होने की संभावना है। 

मौजूदा महापौर दयाशंकर तिवारी का प्रभाग भाजपा के लिए सबसे ज्यादा सुरक्षित माना जा रहा है। उनके प्रभाग से सटी अल्पसंख्यक बहुत बस्तियों को नई रचना में अलग कर दिया गया है। नई रचना में इन बस्तियों को दूसरे प्रभाग से जोड़ा गया है। सत्तापक्ष नेता अविनाश ठाकरे, विरोधी पक्षनेता तानाजी वनवे का प्रभाग भी सुरक्षित है। हालांकि सबकी इन जैसी किस्मत नहीं है। विक्की कुकरेजा का पुराने इलाके अलग-अलग प्रभागों में बंटने की जानकारी है। आभा पांडे के पुराने प्रभाग का कुछ हिस्सा दूसरे प्रभाग में गया है। इसके अलावा मनोज सांगोले, प्रवीण भिसीकर, रमेश पुणेकर, पुरुषोत्तम हजारे, जितेंद्र घोडेस्वार, वैशाली नारनवरे का भी प्रभाग दो हिस्सों में कटा है। दिनेश यादव भी अपने प्रभाग के बीच में कटने से नाराज दिखे। नये प्रभाग में नितिन साठवणे, राजेंद्र सोनकुसरे, संजय चावरे को ज्यादा मेहनत लेनी पड़ रही है।  दिव्या धुरडे के प्रभाग दक्षिण नागपुर में आता है, लेकिन अब उसमें पूर्व नागपुर के भी इलाके जुड़ गए हैं।

कुछ हद तक तस्वीर साफ : नगरसेवकों सहित इच्छुकों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। कई नगरसेवक अपना माथा पिटते दिखे और इसके खिलाफ आपत्ति दर्ज कराने की तैयारी दिखाई। कुछ किस्मत का खेल मानकर चुनौती स्वीकारते दिखे। हालांकि कई खुश भी दिखे। वे अपने लिए प्रभागों को सुरक्षित मान रहे हैं।  फिलहाल प्रभागों की सीमाएं घोषित की गई हैं, आरक्षण अभी बाकी है। लेकिन इससे काफी हद तक भविष्य की तस्वीर साफ हो गई है। प्रभाग कैसा रहेगा और आबादी के हिसाब से किस वर्ग के लिए वह आरक्षित होगा, यह काफी कुछ स्पष्ट होते दिखा। प्रभाग रचना को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने समाधान जताते हुए जीतने का दावा किया है। 

प्रभाग रचना का प्रारूप जनसंख्या 2011 के आधार पर जारी किया गया है। 2011 के अनुसार प्रभाग 51 जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़ा (51366) और प्रभाग 14 जनसंख्या के अनुपात में सबसे छोटा (41962) है। हालांकि क्षेत्रफल अनुसार देखा जाए तो प्रभाग 37 सबसे बड़ा होने का दावा किया गया है, जबकि सबसे छोटा प्रभाग 22 है। फिलहाल 2011 की तुलना में 2022 की जनसंख्या को आधार माना जाए तो प्रभागों की जनसंख्या दो गुनी होने का दावा किया गया है। लेकिन इसके अधिकृत आंकड़े नहीं होने से 2011 को ही आधार माना जा रहा है। 

अनुसूचित जाति-जनजाति, अल्पसंख्यकों की बस्तियां जुड़ीं : मनपा का पिछला चुनाव चार सदस्यीय प्रभाग पद्धति से हुआ था। महाविकास आघाड़ी सरकार ने इसे बदलकर तीन सदस्यीय प्रभाग पद्धति किया है। माना जा रहा था कि भाजपा को हराने के लिए महाविकास आघाड़ी द्वारा प्रभाग रचना में बड़ा फेरबदल होगा, लेकिन पुराने प्रभागों में बहुत ज्यादा फेरबदल नहीं होने का दावा किया गया है। इसके विपरीत अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यक समाज के बस्तियों को एकत्रित करने से अनेक प्रतिष्ठों की नींद उड़ी है। यही नहीं, 50 प्रतिशत से ज्यादा ऐसे प्रभाग है, जहां अनुसूचित जाति की जनसंख्या 10 हजार से अधिक हैं। इसे लेकर भी सत्ताधारी दल में बेचैनी है। 
 

 

 

 

 

Created On :   2 Feb 2022 11:25 AM GMT

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