मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि काफी अपेक्षा के साथ मतदाता सरकार चुनते हैं। सरकार से मतदाता की आशा आकांशा होना स्वाभाविक है। यह उनका अधिकार भी है। लेकिन यह अधिकार उन मतदाताओं को अधिक है जो मतदान करते हैं। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने परिवार के सदस्यों के साथ मतदान करके लोगों से मतदान का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि मताधिकार का उपयोग लोकतंत्र में सबसे महत्वपूर्ण है। उधर प्रमुख उम्मीदवारों ने भी मतदान का आव्हान किया। लेकिन मतदान को लेकर उत्साह नजर नहीं आया। आरंभ से ही मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या काफी कम रही। दोपहर में कुछ केंद्रों पर तो मतदाता ही नहीं पहुंचे। कुछ स्थानों पर ईवीएम काम नहीं करने की शिकायत सुनी गई। मतदाता के नाम को लेकर भी परेशानी सुनी गई। हालांकि इस बार मतदाताओं की सुविधा के लिए राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता हर बूथ पर उपलब्ध थे। नाम व उपनाम बताकर मतदाता व मतदान के बारे में आसानी से डिटेल मिल रहा था। जिले में सबसे अधिक मतदान उमरेड क्षेत्र में 62.5 प्रतिशत रहा। उत्तर नागपुर में सबसे कम 39 प्रतिशत मतदान हुआ। दोनों विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। ग्रामीण क्षेत्र के खापरखेड़ा में भाजपा उम्मीदवार राजीव पोतदार की कार फोड़ने काे लेकर तनाव हुआ। पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
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नागपुर : दो दिग्गजों के गढ़ में वोटिंग परसेंटेज गिरा, शांतिपूर्ण रहा मतदान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधानसभा चुनाव के लिए साेमवार को डाले गए मतदान में मतदाताओं का उत्साह कम नजर आया। नागपुर जिले में मतदान का परसेंटेज गिरने से राजनीतिक दलों के गणित गड़बड़ा गए हैं। शाम 5 बजे तक नागपुर में 49.03 प्रतिशत ही मतदान हो पाया था। मतदान के लिए सुरक्षा व्यवस्था काफी चुस्त रही। शांतिपूर्ण मतदान हुआ। ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार की कार फोड़ने को लेकर हुए तनाव की घटना को छोड़ जिले में शांति बनी रही। जिले में विधानसभा की 12 सीटें हैं। शहर में 6 व ग्रामीण क्षेत्र में भी 6 सीट हैं। इन सीटों के लिए 146 उम्मीदवार मैदान में थे। हालांकि प्रमुख मुकाबला भाजपा शिवसेना गठबंधन व कांग्रेस राकांपा गठबंधन के उम्मीदवारों के साथ ही नजर आया। कुछ सीटों पर बसपा व अन्य संगठनों ने प्रभाव दिखाया है। सोमवार को सुबह 7 बजे मतदान शुरु होने के साथ ही वीआईपी लोगों ने मतदान करके अधिक से अधिक मतदान का आव्हान किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत, केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, तमिलनाडू के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित व अन्य जनप्रतिनिधियों ने सुबह 10 बजे तक मतदान कर दिया। सरसंघचालक डॉ.भागवत ने मतदान करने का आव्हान किया। उन्होंने यह भी कहा कि पसंद कोई भी हो सकती है लेकिन मतदान अनिवार्य है। नोटा की बटन दबाना उम्मीदवार को खारिज करने का उपाय नहीं है।


पिछली बार 61 प्रतिशत हुआ था मतदान, इस बार मौसम साफ फिर भी....
विधानसभा चुनाव के लिए 2014 में 61 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार 55 प्रतिशत भी नहीं हो पाया। कुछ विधानसभा क्षेत्रों में तो एक तरह से मतदान के प्रति उदासीनता देखी गई। 2014 में खास बात यह थी कि मतदान के दिन बारिश हुई थी। दोपहर तक विविध केंद्रों पर कम मतदान हुआ था लेकिन बाद में मतदान का प्रतिशत बढ़ा। उस चुनाव में भाजपा ने शहर में सभी सीटें जीती थी। यह भी उल्लेखनीय है कि प्रमुख दलों में गठबंधन नहीं था। समय पर उम्मीदवार तय करने से मतदाता अपनी पसंद तय नहीं कर पा रहे थे। फिर भी मतदान में कमी नहीं आयी। उत्साह इस बात का भी था कि शहर के विधायक को भाजपा ने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया है। फरवरी 2014 में हुए लोकसभा के चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में राजग जीता था। नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। देश के साथ ही राज्य में सत्ता में बदलाव की अपेक्षा की जा रही थी। लिहाजा अक्टूबर 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का माहौल रहा। हालांकि बाद में मतदाताओं का रुझान कुछ बदला। इसी वर्ष फरवरी में लोकसभा चुनाव में मत प्रतिशतांक 53.13 हो गया। हालांकि मतदान कम होने का कोई बड़ा कारण नहीं दिख रहा था। भाजपा उम्मीदवार नितीन गडकरी के मिले मतों के प्रतिशतांक में अंतर आया। उनका जीत का अंतर 2014 की तुलना में कम हो गया। लोकसभा में उत्तर नागपुर में भाजपा पिछड़ गई। मध्य व दक्षिण नागपुर में अपेक्षा से कम मत मिले। इस बार मौसम साफ रहा। दीपावली की खरीददारी के साथ ही त्योहार का माहौल बना है। अवकाश का लाभ उठाते हुए मतदाता अधिक उत्साह दिखा सकते थे। लेकिन किसी भी विधानसभा क्षेत्र में बूथों पर लगने वाली कतार नहीं िदखी। आमतौर पर माना जाता है कि कम मतदान का असर भाजपा पर पड़ता है। लिहाजा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा के पदाधिकारी अधिक से अधिक मतदान करने का अभियान चलाते हैं। लेकिन इस बार कम मतदान का कारण तलाशा जा रहा है। यह भी दावा किया जा रहा है कि भाजपा के परंपरागत विरोधी माने जानेवाले समाज के मतदाता मतदान के लिए नहीं निकले।

नागपुर जिले की 12 विधानसभा सीटों पर औसत 59 फीसदी मतदान की संभावना
नागपुर जिले की 12 विधानसभा सीटों पर औसत 59 फीसदी तक मतदान होने की संभावना है। जिला प्रशासन से जो आंकडे प्राप्त हुए उसके मुताबिक जिले में 55.72 फीसदी मतदान का पता चला और यह आंकडा 59 फीसदी तक पहुंच सकता है। जिला प्रशासन की तरफ से मतदान में बढ़ोतरी के लिए कई कदम उठाने के बावजूद 2014 के मुकाबले मतदान कम हुआ है। जिले के 4412 मतदान केंद्रों पर पड़े वोटों के जो आंकडे प्राप्त हुए उसके मुताबिक सबसे ज्यादा 64.55 फीसदी मतदान काटोल विधानसभा क्षेत्र में हुआ है। 2014 में यहां 70.30 फीसदी मतदान हुआ था। जिले में सबसे कम 48.45 फीसदी मतदान पश्चिम नागपुर में होने की संभावना है। जिले में शाम 5 बजे तक 54.78 फीसदी मतदान हुआ था। इसके बाद 6 बजे के पहले तक यह आंकडा बढ़कर 55.72 फीसदी हुआ। वोटींग खत्म नहीं हुई थी आैर इसमें 3 फीसदी तक की वृध्दि संभावित है। इसतरह जिले में वोटिंग 59 फीसदी तक होने का अनुमान है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।