- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- NCP ने खुफिया विभाग की पूर्व आयुक्त...
NCP ने खुफिया विभाग की पूर्व आयुक्त शुक्ला को बताया बीजेपी का एजेंट, बगैर अनुमति की जा रही थी फोन टेपिंग
डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने प्रदेश के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर गंभीर आरोल लगाए, इन आरोपों पर राकांपा प्रवक्ता तथा प्रदेश के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक ने पलटवार किया। मलिक ने राज्य खुफिया विभाग की पूर्व आयुक्त रश्मि शुक्ला पर भाजपा के एजेंट के रूप में काम करने का आरोप लगाया है। मलिक ने दावा किया कि रश्मि गृह विभाग की बिना अनुमति के फोन टैपिंग करती थीं। मंत्री ने कहा कि शुक्ला ने गैर कानूनी तरीके से फोन टैपिंग कर निराधार रिपोर्ट तैयार की थी। इसलिए दंड के तौर पर नया पद तैयार कर उन्हें साइड पोस्टिंग दी गई थी। मंगलवार को मंत्रालय में मलिक ने कहा कि फडणवीस ने रश्मी के जिस रिपोर्ट का संदर्भ देकर आरोप लगा रहे हैं, उस रिपोर्ट में जिन अधिकारियों का नाम है उसमें से 80 प्रतिशत तबादले हुए ही नहीं हैं। मलिक ने कहा कि आईपीएस अफसरों के तबादले सीधे मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के स्तर पर नहीं होता है। आईपीएस अफसरों के तबादले के लिए राज्य के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति होती है। इसमें राज्य के पुलिस महानिदेशक भी सदस्य होते हैं। आईपीएस से नीचे के पद के अधिकारियों के तबादले के लिए पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता में समिति है। इसलिए आईपीएस अफसरों के तबादले के लिए गठित समिति के अनुसार ही अफसरों के तबादले हुए हैं। मलिक ने कहा कि अगर तबादले में भ्रष्टाचार हुआ है, तो क्या तत्कालीन पुलिस महानिदेशक जायसवाल और गृह विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव कुंटे ने पैसा खाया है?
भाजपा के लिए काम कर रहे थे जायसवाल-शुक्ला
राकांपा नेता मलिक ने कहा कि शुक्ला ने प्रदेश में महाविकास आघाड़ी सरकार के गठन के समय घटक दलों के महत्वपूर्ण नेताओं के फोन टैपिंग किए थे। रश्मि और राज्य के पुलिस महानिदेशक रहे सुबोध जायसवाल सरकार के गठन के समय भाजपा के लिए काम कर रहे थे। मलिक ने कहा कि राज्य में सरकार बनने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जायसवाल को दिल्ली का पुलिस आयुक्त बनाना चाहते थे। लेकिन राज्य सरकार ने कहा कि हमें उनकी जरूरत है। इसलिए सरकार ने जायसवाल को दिल्ली जाने की अनुमति नहीं दी थी। मलिक ने कहा कि फडणवीस महाविकास आघाड़ी के विधायकों को तोड़कर सरकार गिरा नहीं पाए। इसलिए फडणवीस और भाजपा अब अधिकारियों के जरिए सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। मलिक ने कहा कि सरकार के पास 175 विधायकों का समर्थन है।
वाझे के लिए फडणवीस ने नहीं मांगी सलाह
मलिक ने कहा कि फडणवीस ने दावा किया है कि शिवसेना के दबाव के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाझे को दोबारा सेवा में शामिल करने के लिए राज्य के एडवोकेट जनरल से सलाह मांगी थी, लेकिन मंत्रालय में एडवोकेट जनरल से सलाह मांगने के संबंध में एक भी कागज उपलब्ध नहीं है। मलिक ने दावा किया कि पिछले साल वाझे को मुंबई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने अपने अधिकार क्षेत्र में दोबारा सेवा में शामिल किया था। मलिक ने कहा कि एंटालिया मामले में गिरफ्तारी से पहले मुंबई पुलिस आयुक्तालय में सिंह तीन घंटे तक वाझे को लेकर बंद कमरे में चर्चा कर रहे थे। मलिक ने कहा कि टीआरपी घोटाले में सिंह आगे-आगे थे, लेकिन पिछले दो से तीन महीने से वह ठंडे पड़ गए थे। सिंह पर किसका दबाव था यह हम बोल नहीं सकते हैं।
फोन टैपिंग अपराध, रश्मि शुक्ला की जांच हो- पाटील
राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष तथा राज्य के जलसंसाधन मंत्री जयंत पाटील ने कहा कि फडणवीस ने दावा किया है कि उनके पास फोन टैपिंग के 6.3 जीबी डेटा है। लेकिन फोन टैपिंग बहुत बड़ा अपराध है। रश्मी ने फोन टैपिंग के लिए अनुमति ली थी क्या। रश्मि की जांच होनी चाहिए कि उन्होंने फोन टैपिंग कैसे की? पाटील ने कहा कि फोन टैपिंग में जिन अधिकारियों का नाम है उनका तबादला ही नहीं हुआ है। फोन टैपिंग की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिंपरी-चिंचवड के पुलिस आयुक्त संदीप बिष्णोई का तबादला नई मुंबई पुलिस आयुक्त पद पर होने वाला है लेकिन वे रेलवे में तैनात है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजय वर्मा का तबादला ठाणे पुलिस आयुक्त पद पर होने वाला था लेकिन उनका तबादला ही नहीं हुआ। मुंबई के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व सुव्यवस्था) विनय चौबे का तबादला नागपुर अथवा पुणे आयुक्त पद पर होने वाला था लेकिन उनकी नियुक्ति फिलहाल एसीबी में हुई है।
Created On :   23 March 2021 8:06 PM IST