30 हजार से ज्यादा फीस वसूलने वाले स्कूलों का हो ऑडिट, इंडिया वाइड पेरेंट्स एसोसिएशन की मांग 

Need Audit of schools charging more than 30 thousand fees, demand of India Wide Parents Association
30 हजार से ज्यादा फीस वसूलने वाले स्कूलों का हो ऑडिट, इंडिया वाइड पेरेंट्स एसोसिएशन की मांग 
30 हजार से ज्यादा फीस वसूलने वाले स्कूलों का हो ऑडिट, इंडिया वाइड पेरेंट्स एसोसिएशन की मांग 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संक्रमण के चलते आर्थिक तंगी से जूझ रहे अभिभावकों पर कई स्कूल ज्यादा फीस देने का दबाव बना रहे हैं। स्कूल इसके लिए अध्यापकों को दिए जाने वाले वेतन का हवाला दे रहे हैं। इसलिए अब मांग उठ रही है कि सालाना 30 हजार रुपए से ज्यादा की फीस वसूलने वाले सभी स्कूलों का ऑडिट कराया जाए। जिससे पता चले कि आखिर यह पैसे  कैसे खर्च किए जा रहे हैं। इंडिया वाइड पेरेंट्स एसोसिएशन (आईडब्ल्यूपीए) ने सरकार से यह मांग की है। आईडब्ल्यूपीए की अध्यक्ष अनुभा सहाई ने इस मांग के समर्थन के लिए ऑनलाइन पिटिशन की शुरुआत भी की है जिसे कुछ ही घंटों में 1500 से ज्यादा लोगों का समर्थन मिल चुका है। मुंबई ही नहीं पिटिशन को नागपुर, औरंगाबाद, नासिक, पुणे और ठाणे में रहने वाले अभिभावकों का भी समर्थन मिल रहा है। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर राज्य सरकार ने इस साल स्कूलों के फीस बढ़ाने पर पाबंदी लगा रखी है, इसके बावजूद कई स्कूल शिक्षकों को वेतन देने के नाम पर ज्यादा फीस की मांग कर रहे हैं। मुनाफे में चलने के बावजूद ज्यादातर ऐसे स्कूल हर साल फीस बढ़ा देते हैं। ऐसे समय में जब बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं तब भी कई स्कूल ट्रांसपोर्ट फीस और  दूसरे कई खर्च फीस में जोड़ कर वसूल रहे हैं।

शिक्षकों के वेतन में कर रहे कटौती 

पिटीशन में अनुभा ने कहा है कि हम बढ़ी हुई फीस देने को भी तैयार हैं लेकिन जब ज्यादातर शिक्षक वेतन में कटौती और नौकरी से निकाले जाने की शिकायत कर रहे हैं हम कैसे मान लें कि बढ़ी हुई फीस शिक्षकों को वेतन के रूप में ही दी गई है। ऐसे में स्कूलों को अपनी बैलेंसशीट अभिभावकों के साथ साझा करनी चाहिए। कई बार स्कूलों से यह मुद्दा उठाए जाने के बावजूद इसका कोई समाधान नहीं निकला है इसलिए हम मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से अपील करते हैं कि मोटी फीस वसूलने वाले स्कूलों का ऑडिट किया जाए। शिक्षा का अधिकार कानून में भी ऑडिट का प्रावधान है लेकिन इसका कभी इस्तेमाल नहीं किया जाता। राज्य सरकार के आदेश स्कूलों पर बाध्यकारी होते हैं इसके बावजूद निर्देशों की अवहेलना की जाती है इसलिए स्कूलों को कानून के दायरे में लाने के लिए राज्य सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए।  
 

Created On :   9 July 2020 7:45 PM IST

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