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विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनना जरूरी : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार व स्थानीय निकाय बुनियादी सुविधाओं के विकास से जुड़ी परियोजनाओं व पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए। मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील की खंडपीठ ने कहा कि प्राधिकरण इस बाद का ध्यान रखे कि मेट्रो रेल जैसा इंफ्रास्टेक्चर प्रोजेक्ट जनहित में है लेकिन इस प्रोजेक्ट के चलते पर्यावरण पर पड़नेवाला असर भी जनता से जुड़ा मुद्दा है।
हाईकोर्ट में मुंबई महानगरपालिका के वृक्ष प्राधिकरण के सदस्यों की नियुक्ति में नियमों का पालन न किए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में दावा किया गया है कि मेट्रो रेल जैसी परियोजना के निर्माण का रास्ता साफ करने के लिए महानगरपालिका ने मनमाने व अवैध तरीके से पेड़ों को काटने की अनुमति प्रदान की गई है। इससे पहले राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने खंडपीठ के सामने कहा कि मुंबई मनपा के वृक्ष प्राधिकरण में चार योग्य सदस्यों की नियुक्ति की गई है।
इस पर खंडपीठ ने कहा कि सरकार ज्यादा से ज्यादा हरियाली को सुनिश्चित करे क्योंकि यह प्रकृति की मांग है। खंडपीठ ने कहा कि सरकार पेड़ तो लगा देती है लेकिन उसकी देखरेख नहीं की जाती है इसलिए लोग खुश नहीं होते। इसलिए जनता में यह विश्वास पैदा करे की सरकार ज्यादा से ज्यादा पेड़ दूसरी जगह लगाएगी और जिन पेड़ों को एक जगह से हटाया गया है उसे अन्य जगह दोबारा लगाया जाएगा। सिर्फ पेड़ लगाना पर्याप्त नहीं है। सरकार को बुनियादि सुविधाएं के विकास से जुड़े प्रोजेक्ट व पर्यावरण के बीच संतुलन भी स्थापित करना पड़ेगा।
Created On :   2 April 2019 7:21 PM IST