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लापरवाही: मैडम डॉक्टर ही नहीं, किस तरह करें इलाज
डिजिटल डेस्क शहडोल/अनूपपुर। जिला चिकित्सालय में पिछले 12 दिनों में जिन शिशुओं की मौत हुई है, उनमें शहडोल के साथ-साथ उमरिया और अनूपपुर जिले के बच्चे भी शामिल हैं। समीक्षा में यह बात आई है उमरिया और अनूपपुर में बच्चों का इलाज करने के बजाय शहडोल रेफर कर दिया जाता है। यहां मौजूद संसाधनों का पूरी तरह इस्तेमाल नहीं किया जाता है। मंगलवार रात एनएचएम की एमडी छवि भारद्वाज जब अनूपपुर जिला चिकित्सालय का निरीक्षण करने पहुंची और व्यवस्थाओं का जायजा लिया तो सिविल सर्जन संसाधनों के उपयोग से बचने स्टाफ का रोना रोने लगे।
सिविल सर्जन डॉ. एससी राय ने एमडी को बताया कि जिला चिकित्सालय में स्वीकृत पदों की पूर्ति आज तक नहीं हो पाई है। चिकित्सकों के 35 पद रिक्त पड़े हुए हैं। चिकित्सक तो दूर चतुर्थ श्रेणी के 28 स्वीकृत पदों में से सिर्फ दो ही भरे हैं। जिला चिकित्सालय के लिए स्वीकृत 296 अमले में से 125 ही भरे हैं। 171 पदों की पूर्ति के लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है। एमडी द्वारा आश्वासन दिया गया कि शीघ्र ही इन पदों को भरने की प्रक्रिया प्रारंभ कराई जाएगी। एक दिन पहले स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने भी जिला चिकित्सालय अनूपपुर का निरीक्षण किया था।
ज्यादा गंभीर बच्चों को ही करें रेफर-
रात लगभग 10 बजे एनएचएम की एमडी छवि भारद्वाज एवं डॉ. अर्चना मिश्रा जिला चिकित्सालय पहुंची थी। उन्होंने एसएनसीयू, पीआईसीयू तथा पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) का निरीक्षण किया। संबंधित वार्डों के प्रभारियों को बुलवाकर सुविधाओं एवं व्यवस्थाओं के संबंध में विस्तार से जानकारी ली। जिला चिकित्सालय में उपलब्ध संसाधनों के उपयोग के संबंध में भी एमडी द्वारा जानकारी ली गई। सभी प्रभारियों को निर्देशित किया गया की इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही न की जाए। जिला चिकित्सालय में ही बच्चों का इलाज किया जाए। स्थिति जब ज्यादा गंभीर हो तभी रेफर किया जाए।
संसाधनों का 53 फीसदी ही इस्तेमाल-
बच्चों की मौत की समीक्षा में यह बात सामने आई है कि शहडोल जिला चिकित्सालय में क्षमता से लगभग दोगुने बच्चे भर्ती रहते हैं। वहीं उमरिया में उपलब्ध संसाधनों का 41 फीसदी और अनूपपुर जिले में 53 फीसदी ही इस्तेमाल हो पाता है। वहां से बच्चों को बिना इलाज के ही शहडोल रेफर कर दिया जाता है। उमरिया और अनूपपुर से रेफरल पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। दोनों जिलों के स्वास्थ्य अधिकारियों से कहा गया है कि बच्चों का इलाज जिला चिकित्सालय में ही किया जाए। अगर रेफरल की स्थिति बनती है तो हायर सेंटर जबलपुर मेडिकल कॉलेज या रीवा मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाए।
पोड़की में बैठक, दिए निर्देश-
अनूपपुर में रात्रि विश्राम के बाद सुबह एमडी ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को देखने निकल गईं। ग्राम पोड़की में बैठक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अमरकंटक के अंतर्गत आने वाले सभी स्वास्थ्य केंद्रों का जायजा लिया। बैठक में सीएमएचओ डॉ. बीडी सोनवानी, बीएमओ, जिला कार्यक्रम प्रबंधक सहित सभी उप स्वास्थ्य केंद्र के एएनएम, आशा कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी आदि उपस्थित रहे। बैठक में एमडी के द्वारा शिशु एवं मातृ कल्याण के संबंध में जानकारी लेने के साथ ही शासन द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की मॉनिटरिंग की गई। शिशु एवं मात्र मृत्यु दर में कमी लाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा संचालित कार्यक्रमों का जायजा लिया। दवाओं की उपलब्धता एवं जननी एक्सप्रेस के संबंध में भी जानकारी ली गई।
लापरवाही मिली तो होगी कार्रवाई-
बैठक में ही उपस्थित स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी एवं आशा कार्यकर्ताओं को एमडी ने निर्देशित किया कि गर्भवती माताओं में एनीमिया, हाइपरटेंशन, सिकल सेल, एनीमिया की जांच तथा प्रबंधन को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही न बरती जाए। उप स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत स्वास्थ्य कार्यकर्ता तथा आशा कार्यकर्ताओं को गर्भवती माताओं की सभी पहलुओं की जांच निरीक्षण तथा इलाज को लेकर किए जाने वाले कार्यों की समीक्षा भी की गई। उन्होंने यह भी निर्देशित किया कि किसी भी तरह की लापरवाही पाए जाने पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
वेंटीलेटर के लिए भेजा प्रस्ताव-
उमरिया और अनूपपुर जिला चिकित्सालय में बच्चों के बेहतर इलाज के लिए पीडियाट्रिक वेंटीलेटर जल्द ही उपलब्ध हो सकते हैं। संभागायुक्त नरेश पाल ने बताया कि इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया गया है।
Created On :   9 Dec 2020 11:23 PM IST