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खुलासा : जहर देकर किया गया था बाघ का शिकार, प्राकृतिक मौत का दावा झूठा
डिजिटल डेस्क शहडोल । शहर से लगे कल्याणपुर में मृत मिले बाघ की प्राकृतिक मौत नहीं हुई थी। उसको जहर देकर मारा गया था। डीएफओ दक्षिण वन मंडल प्रदीप मिश्रा भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि बाघ की प्राकृतिक मौत नहीं हुई है, लेकिन जहर से मौत की पुष्टि नहीं कर रहे हैं। हालांकि सूत्रों का दावा है कि विसरा रिपोर्ट में जहर से मौत होना पाया गया है।
गौरतलब है कि 25 नवंबर को कल्याणपुर में केंद्रीय विद्यालय के पास बाघ का शव बरामद हुआ था। उसके बाद से वन विभाग यह कहता रहा है कि बाघ की प्राकृतिक मौत हुई थी। बाद में एक-एक कर परतें खुलती गईं और वन अमले की लापरवाही सामने आई। इस मामले में अब तक दो डिप्टी रेंजर और एक वन रक्षक को निलंबित किया जा चुका है। अधिकारियों को यह पता चल गया था कि बाघ का शिकार हुआ है और कल्याणपुर और आसपास के लोगों ने ही शिकार किया है। जांच इसी दिशा में चल रही थी। काफी मशक्कत के बाद तीन दिन पहले वन विभाग ने इस मामले में एक संदिग्ध को पकड़ा था। उसका नाम विसंभर है और वह कल्याणपुर के आसपास का ही रहने वाला है। उससे पूछताछ में काफी महत्वपर्ण जानकारी मिली है। फिलहाल उसे कोर्ट में पेशकर जेल भेज दिया गया है।
आरोपी भागा, दो दिन बाद पकड़ा
पकड़े गए मुख्य आरोपी के एक और रिश्तेदार को पूछताछ के लिए वन विभाग की टीम ने उठाया था। उससे पूछताछ की जा रही थी। लफदा सर्किल का स्टाफ उसके साथ था। मंगलवार को चकमा देकर वह फरार हो गया। इसके बाद से वन विभाग की टीम उसके पीछे लगी हुई थी। गुरुवार को उसे सीधी जिले मझौली के गांव चोरबा से पकड़ लिया गया है। उससे पूछताछ की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि बाघ का शिकार प्रोफेशनल शिकारियों ने नहीं बल्कि आम आदमी ने अपनी सुरक्षा के लिए किया है।
कल्याणपुर के पास के गांव में भैंस का किया था शिकार
सूत्रों का कहना है कि बाघ ने कल्याणपुर गांव के पास एक भैंस का शिकार किया था। उसके बाद उसकी मौत हो गई है। हो सकता है भैंस के माध्यम से ही उसे जहर दिया गया हो। बाघ मरा कहीं और था उसे सांगे से उठाकर यहां फेंका गया था। पकड़े गए दोनों आरोपियों बताया है कि वे लोग बाघ को यहां फेंकने आए थे। बाघ को मारने वाला कोई और है। वन विभाग की टीम को मुख्य आरोपी के बारे में भी पता चल गया है। हो सकता है उसको पकड़ भी लिया गया, लेकिन अभी खुलासा नहीं किया गया है।
वन विभाग की लापरवाही से गई बाघ की जान
जांच में पता चला कि बाघ का मूवमेंट काफी समय से इस क्षेत्र में था। पचगांव के पास उसने एक बैल का शिकार भी किया था, लेकिन डिप्टी रेंजर ने तेंदुए का शिकार बताकर अधिकारियों को गलत रिपोर्ट दी थी। इसके अलावा बरुका और कुवरसेजा के आसपास भी बाघ को देखा गया था। यहां भी बाघ ने जानवरों का शिकार किया था, लेकिन वन विभाग के कर्मचारियों ने इसकी जानकारी समय पर वरिष्ठ अधिकारियों तक नहीं पहुंचाई। शिकार की ये सभी घटनाएं 25 नवंबर के पहले की हैं। ये वही बाघ था जो अहिरगवां रेंज मेें देखा गया था। अगर वन कर्मचारी लापरवाही नहीं बरतते तो बाघ को बचाया जा सकता है।
इनका कहना है
दूसरे आरोपी को पकड़ लिया गया है, उससे पूछताछ चल रही है। पूरे मामले का जल्दी खुलासा कर दिया जाएगा।
प्रदीप मिश्रा, डीएफओ दक्षिण वन मंडल शहडोल
Created On :   5 Jan 2018 1:13 PM IST