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मानहानि के दायरे में नहीं आती पुलिस सूत्रों से जुड़ी खबरें- एक्ट्रेस शिल्पा याचिका पर हाईकोर्ट का जवाब
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रेस की स्वतंत्रता व व्यक्ति की निजता के अधिकार के बीच संतुलन जरुरी है। लेकिन पुलिस सूत्रों के हवाले से दी गई खबरें मानहानि के दायरे में नहीं आती है। कोर्ट ने यह बाते अश्लील फिल्म बनाने और उसे मोबाइल एप पर प्रसारित करने के मामले में गिरफ्तार कारोबारी राज कुंद्रा की पत्नी फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी की ओर से दायर किए गए मानहानि के दावे पर सुनवाई के दौरान कही। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में मीडिया के लिए चुप रहने से जुड़ा आदेश जारी करना ठीक नहीं होगा। क्योंकि इसका असर मीडिया की स्वतंत्रता पर दिखाई देगा और इससे मीडिया की गतिशीलता में कमी आएगी। अच्छी व खराब पत्रकारिता क्या हो सकती है। इसे तय करने के बारे में एक न्यायिक सीमा तय की गई है। क्योंकि यह विषय मीडिया की स्वतंत्रता के बेहद करीब है। कोर्ट ने सोशल मीडिया के माध्यम फेसबुक व गूगल को नियंत्रित करने से जुड़ी मांग पर कहा कि संपादकीय समाग्री को नियंत्रित करना घातक हो सकता है।
याचिका स्वरुप दावे में शेट्टी ने कोर्ट से आग्रह किया है कि अखबारों, चैनलों व सोशल मीडिया में आ रही मानहानिपूर्ण सामग्री को प्रकाशित व प्रसारित करने से रोका जाए। यह न सिर्फ उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन है बल्कि निजी जीवन में दखल भी है। याचिका में शेट्टी ने मीडिया हाऊसों को उनसे बिना शर्त के माफी मांगने व 25 करोड रुपए के मुआवजे की मांग की है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति गौतम पटेल के सामने शेट्टी के दावे पर सुनवाई हुई। इस दौरान शेट्टी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता बिरेंद्र श्राफ ने शेट्टी के घर में कुंद्रा मामले को लेकर पुलिस की से की पूछताछ व छापेमारी से जुड़ी मीडिया में आई खबरों का उल्लेख किया। एडवोकेट श्राफ ने कहा कि मेरे मुवक्किल को लेकर अपलोड किया गए वीडियो अपमानजनक व मानहानिपूर्ण हैं। जिसे हटाने का निर्देश दिया जाए।
इस पर न्यायमूर्ति ने कहा कि संविधान से मिले निजता के अधिकार का हनन नहीं होना चाहिए और न ही यह कहा जा सकता है कि यदि कोई लोकप्रिय (सेलिब्रेटी) है, इस लिए उसे अपने निजता के अधिकार की कुर्बानी देनी पड़ेगी। प्रेस की स्वतंत्रता व निजता के अधिकार के बीच संतुलन होना चाहिए। इस दौरान न्यायमूर्ति ने शेट्टी के वकील से पूछा कि ‘सूत्रों के हवालों से खबर देना कैसे गलत हो सकता है।’ न्यायमूर्ति ने कहा कि आपके मुवक्किल के पति पर गंभीर आरोप हैं। ऐसे में कोर्ट मामले की रिपोर्टिंग को लेकर मीडिया को कैसे प्रभावित कर सकता है। फिर चाहे आपका मुवक्किल कोई भी हो। पुलिस सूत्रों के हवाले से दी गई खबरें मानहानि के दायरे में नहीं आती हैं।
यूट्यब वीडियो हटाने के निर्देश
न्यायमूर्ति ने फिलहाल यू ट्यूब चैनल में तीन निजी लोगों की ओर से मामले को लेकर अपलोड किए गए वीडियों को हटाने का निर्देश दिया। क्योंकि यह वीडियों आपत्तिजनक व छवि को मलीन करनेवाले नजर आ रहे थे। वीडियो को अपलोड करने से पहले सच्चाई को जानने के लिए मामूली प्रयास भी नहीं किया गया था। कोर्ट ने मामले से जुड़े प्रतिवादियों को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है और मामले की सुनवाई 20 सितंबर 2021 तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   30 July 2021 9:00 PM IST