विशेष न्यायाधीश की बजाय सत्र न्यायधीश के संज्ञान लेने पर एनआईए को आपत्ति नहीं, वकील का दावा 

NIA has no objection to taking cognizance of Sessions Judge instead of Special Judge
विशेष न्यायाधीश की बजाय सत्र न्यायधीश के संज्ञान लेने पर एनआईए को आपत्ति नहीं, वकील का दावा 
विशेष न्यायाधीश की बजाय सत्र न्यायधीश के संज्ञान लेने पर एनआईए को आपत्ति नहीं, वकील का दावा 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बांबे हाईकोर्ट में दावा किया है कि पुणे के न्यायाधीश द्वारा  साल 2018 के भीमा कोरेगांव के एल्गार परिषद मामले में आरोपी सुधा भारद्वाज के खिलाफ आरोपपत्र का संज्ञान लेने से उनके अधिकारों पर कोई असर नहीं हुआ है। एनआईए की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि जनवरी 2020 में एनआईए को इस मामले की जांच मिली थी। ऐसे में विशेष न्यायाधीश के बजाय यदि सत्र न्यायाधीश आरोपपत्र का संज्ञान लेते है तो इसमें कुछ गलत नहीं है। 

इस दौरान उन्होंने भारद्वाज को राहत देने का विरोध किया। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे के सामने भारद्वाज की ओर से दायर किए गए जमानत आवेदन पर सुनवाई चल रही है। इस दौरान श्री सिंह ने उपरोक्त बात कही। आवेदन में भारद्वाज ने दावा किया है कि पुणे के सत्र न्यायाधीश के पास इस मामले को लेकर पुणे पुलिस द्वारा दायर किए गए आरोपपत्र का संज्ञान लेने का अधिकार नहीं था। क्योंकि वे विशेष न्यायाधीश नहीं थे। फिर भी उन्होंने स्वयं को विशेष न्यायाधीश माना। भारद्वाज के खिलाफ अवैध गतिविधि प्रतिबंधक कानून के तहत आरोप लगाए हैं। इसलिए विशेष न्यायाधीश को आरोपपत्र का संज्ञान लेना चाहिए था। 

Created On :   2 Aug 2021 9:03 PM IST

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