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कांग्रेस नेतृत्व के लिए गांधी परिवार के अलावा कोई विकल्प नहीं - राऊत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अपनी अंतर्गत समस्याओं के कारण जर्जर हो गई है। इसपर संवेदना है। उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस विचारधारा का नहीं हूं। फिर भी देश की राजनीति में सत्ताधारी दल के सामने विपक्ष को टिकना चाहिए। तभी देश का लोकतंत्र और स्वतंत्रता टिकी रहेगी। रविवार को पत्रकारों से बातचीत में राऊत ने कहा कि कांग्रेस का नेतृत्व करने के लिए गांधी परिवार के अलावा कोई विकल्प नहीं है। यह लोकभावना है। उन्होंने कहा कि राऊत ने कहा कि देश को मजबूत विपक्ष की जरूरत है, लेकिन राजनीति के मुख्य प्रभाव से विपक्ष दूर जाते नजर आ रहा है। कांग्रेस विपक्ष में रहे अथवा सत्ता में हो पार्टी को अपना अस्तित्व बरकरार रखना चाहिए। कांग्रेस को अपना पुराना वैभव वापस हासिल करना चाहिए। राऊत ने कहा कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पार्टी के 23 नेताओं ने पार्टी में नए नेतृत्व को लेकर जो पत्र भेजा था। उसको लेकर पैदा हुआ विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में मुझे कांग्रेस के ज्यादा कमजोर होने का डर लग रहा है। इसलिए पार्टी का वरिष्ठ नेता होने के नाते कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को आगे आकर विवाद खत्म करना चाहिए।
राऊत ने कहा कि सोनिया को पत्र लिखने वाले 23 नेताओं की मांग गलत नहीं है, लेकिन कांग्रेस का नेतृत्व किसे देना है यह बताने के लिए तैयार नहीं हैं। पार्टी का नेतृत्व करने के लिए उस कद का नेता भी होना चाहिए। राऊत ने कहा कि जो दिग्गज नेता कांग्रेस पार्टी को छोड़ चुके हैं। कांग्रेस को उन्हें पार्टी में वापस लाने का प्रयास करना चाहिए। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बनाई है। ये सभी एक समय में कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। राऊत ने कहा कि कांग्रेस के आंतरिक कलह का असर महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सरकार पर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र कांग्रेस में भी कई गुट हो सकते हैं, लेकिन सभी गुट गांधी परिवार को मानने वाले हैं। इसलिए कांग्रेस के भीतर का मतभेद का असर सरकार पर नहीं पड़ेगा।
राऊत ने कहा कि भाजपा में भी गुट हैं। राऊत ने दावा किया कि शिवसेना और युवा सेना के बीच कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने भले ही शिवसेना के भीतर मतभेद होने का आरोप लगाया हो, लेकिन शिवसेना चिट्ठी पर चलने वाली पार्टी नहीं है। राऊत ने कहा कि युवा पिढ़ी के सामने आने पर नेतृत्व सौंपना चाहिए। शिवसेना ने यह प्रयास किया है।
हम भी भगवान के भक्त हैं, मंदिर खोलने पर सरकार लेगी फैसला
राऊत ने कहा कि मंदिरों को खोलने के लिए भाजपा की ओर से किए गए घंटानाद आंदोलन के कारण राज्य सरकार को नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हम भी भगवान के भक्त हैं। हम भी नहीं चाहते हैं कि भगवान मंदिर में बंद रहें। मंदिर पर लाखों लोगों की आस्था है। सरकार को इसकी चिंता है। इसलिए सरकार मंदिर खोलने के बारे में उचित फैसला लेगी। राऊत ने कहा कि देश में लॉकडाउन और मंदिर बंद करने का फैसला केंद्र सरकार ने ही लिया था। जब मंदिर खोलने का प्रयास हुआ था, तो वहां पर कोरोना का प्रसार देखा गया है। अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन के बाद और आंधप्रदेश में तिरुपति बालाजी मंदिर में कोरोना का प्रसार हुआ है।
Created On :   30 Aug 2020 4:54 PM IST