गलती से चली गोली के चलते बर्खास्त होने वाले सिपाही की सेवा बहाली से इंकार 

No relief from High Court - Refusal to reinstate the service of a soldier who was dismissed by mistake
गलती से चली गोली के चलते बर्खास्त होने वाले सिपाही की सेवा बहाली से इंकार 
हाईकोर्ट से राहत नहीं गलती से चली गोली के चलते बर्खास्त होने वाले सिपाही की सेवा बहाली से इंकार 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने उस पुलिस कांस्टेबल की सेवा बहाली से इनकार कर दिया है जिसकी बंदूक से दुर्घटनावश चली गोली के चलते एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस कांस्टेबल को अपनी सर्विस गन को लेकर ज्यादा सतर्क व सावधान रहना चाहिए और इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की जब बहुत जरुरी हो तभी अपनी बंदूक का इस्तेमाल करें। मामला पुलिस कांस्टेबल सुनील मालशिकरे से जुड़ा है। मालशिकरे की जनवरी 2003 में पुलिस कांस्टेबल के तौर पर नियुक्ति की गई थी। चूंकि मालशिकरे के दस्तावेजों का सत्यापन नहीं हुआ था। इसलिए उसकी नियुक्ति अस्थायी तौर पर की गई थी। मालशिकरे को कृषि उत्पाद बजार समिति (पालघर) के चेयरमैन के अंगरक्षक के तौर पर तैनात किया गया था। एक ड्यूटी के दौरान वह अपने परिचित रविंद्र शिंदे से बातचीत कर रहा था। तभी उसकी सर्विस गन से गोली निकल गई। जिससे शिंदे की मौत हो गई। इस घटना के बाद मालशिकरे के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया। इस बीच मालशिकरे को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। बर्खास्तगी के आदेश के बाद मालशिकरे ने महाराष्ट्र प्रशासकीय न्यायाधिकरण (मैट) में चुनौती दी लेकिन मैट ने मालशिकरे को राहत देने से इनकार कर दिया। मैट के आदेश के खिलाफ मालशिकरे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी। 

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। मालशिकरे के वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल को सेवा से बर्खास्तगी का आदेश काफी कठोर है। इसके अलावा आपराधिक मामले से मेरे मुवक्किल को बरी कर दिया गया है। मेरे मुवक्किल के बंदूक से दुर्घटनावश गोली चली है। इसके अलावा इस मामले में मेरे मुवक्किल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इस मामले में मेरे मुवक्किल के पक्ष को सही तरीके से नहीं समझा गया है। 

इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति अस्थायी थी। याचिकाकर्ता पुलिस दल में था इसलिए उसे अपनी सर्विस गन को लेकर अधिक सर्तक व सावधान रहना चाहिए था। नियोक्ता याचिकाकर्ता की सेवा से संतुष्ट नहीं था। इसलिए उसे नौकरी से निकाला गया है। याचिकाकर्ता के कृत्य को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। हमे यह याचिका तथ्यहीन नजर आ रही है। इसलिए इसे खारिज किया जाता है। 

Created On :   19 Nov 2021 7:08 PM IST

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