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भर्ती परीक्षा में शामिल होने की अनुमति मांगनेवालों को राहत नहीं, समय पर नहीं हुई थी कोर्स की परीक्षा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने रविवार को हथियार बनाने की फैक्टरी में कार्यरत 10 लोगों को राहत देने से इंकार कर दिया है। इन लोगों ने सोमवार यानी पांच अक्टूबर 2020 को होनेवाली भर्ती परीक्षा में प्रविष्ट होने की अनुमति मांगी थी। किंतु हाईकोर्ट ने इन्हें राहत देने से इंकार कर दिया। कई वर्षों में यह पहला मौका है जब रविवार को हाईकोर्ट किसी मामले की सुनवाई हुई है। याचिकाकर्ताओं ने अपने मामले को आवश्यक बताते हुए अदालत से तत्काल सुनवाई के लिए आग्रह किया था। लिहाजा मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने रविवार को याचिका पर सुनवाई रखी थी।
याचिका के मुताबिक चार्जमैन पद पर भर्ती के लिए ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की ओर से विज्ञापन जारी किया गया था। इस पद पर भर्ती के लिए 15 जून 2020 तक आवेदन करना था। आवेदन करने के इच्छुक उम्मीदवार के पास सिविल व मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा अनिवार्य किया गया था। याचिका के मुताबिक सभी याचिकाकर्ताओ ने इंजीनियरिंग के डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लिया था। अप्रैल -मई 2020 में इसकी परीक्षा होनी थी और जून तक परीक्षा परिणाम आना था लेकिन कोरोना महामारी के चलते परीक्षा नहीं हो पायी है। इसलिए हमे 5 अक्टूबर को होनेवाली परीक्षा में हमें शामिल होने की अनुमति दी जाए। क्योंकि डिप्लोमा की परीक्षा न होने में हमारा कोई दोष नहीं है। क्योंकि चार वर्षों में एक बार यह भर्ती परीक्षा होती है। इसलिए हमे परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए। इससे पहले याचिकाकर्ताओ ने केंद्रीय प्रशासकीय न्यायाधिकरण (कैट) में आवेदन किया था पर वहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली थी। इसलिए इन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
खंडपीठ ने याचिकाओ पर गौर करने के बाद कहा कि हमे याचिकाकर्ताओं से पूरी सहानुभूति है किंतु याचिकाकर्ता पद के लिए जरुरी पात्रता को पूरा नहीं करते है। इसलिए हम उन्हें कोई राहत नहीं दे सकते। सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी इस बारे में स्पष्ट है कि पद के लिए पात्रता को पूरा न करने वाले राहत के पात्र नहीं है। याचिकाकर्ताओ ने पात्रता से जुडी अधिसूचना को चुनौती नहीं दी है। खंडपीठ ने कहा कि आवश्यक मामले की सुनवाई के लिए न्यायालय के दरवाजे 24 घंटे खुले हैं। इस दौरान न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने कहा कि साल 2013 में हाईकोर्ट में रविवार के दिन परीक्षा से जुड़े मामले की सुनवाई रखी गई थी।
कृषि कानून पर अमल करने हाईकोर्ट में याचिका दायर
वहीं केंद्र सरकार द्वारा हाल में मंजूर किए गए कृषि कानून को महाराष्ट्र में लागू किया जाए, यह निवेदन करने वाली याचिका उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में दाखिल की गई है। इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी। चंद्रपुर निवासी दिलीप चलाख, पतरू सखाराम पिपरे और जीवन भैय्याजी कोंटमवार ने याचिका दाखिल की है। याचिकाकर्ता किसान हैं। उनका कृषि सामग्री और उत्पादन बेचने का व्यवसाय है। केंद्र सरकार ने कृषि कानून में सुधार करने का निर्णय लिया है। इसे राष्ट्रपति ने 5 जून को सहमति दी थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने तीन अलग-अलग कानून लागू किए। इस अनुसार किसान व व्यापारियों को राज्य के अधिकृत कृषि उत्पन्न बाजार समिति के अलावा कृषि माल की बिक्री करने की मंजूरी है। अंतरराज्यीय कृषि व्यापार पर नए कानून अनुसार कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा। इससे कृषि उत्पादन पर विपनण व यातायात खर्च कम होगा। किसानों को अच्छा भाव मिलेगा। विधेयक संसद में मंजूर होने के बाद राष्ट्रपति ने उस पर हस्ताक्षर किए हैं। केंद्र सरकार के कानून अनुसार राज्य सरकार को क्रियान्वयन करना चाहिए। इस अनुसार सहकार, विपणन व कपड़ा मंत्रालय ने कानून पर अमल करने का निर्णय लिया था। इस आदेश को 30 सितंबर को स्थगन दिया गया है। सरकार कृषि उत्पन्न बाजार समिति के दलाल व बड़े व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए कानून का विरोध कर रही है। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसका राज्य में क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है, जिससे राज्य सरकार के 30 सितंबर के आदेश को स्थगित करने और कानून को लागू करने की मांग याचिकाकर्ता दी है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. अनिल कुमार मूलचंदानी ने पक्ष रखा।
Created On :   4 Oct 2020 5:59 PM IST