जिला परिषद, पंचायत समिति चुनाव टालने के मामले में सरकार को नोटिस 

Noticed to government on postpone elections of Zilla Parishad, Panchayat Samiti
जिला परिषद, पंचायत समिति चुनाव टालने के मामले में सरकार को नोटिस 
जिला परिषद, पंचायत समिति चुनाव टालने के मामले में सरकार को नोटिस 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के 25 जिला परिषदों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष और 351 पंचायत समिति के सभापति व उपसभापति के चुनाव को टालने के मुद्दे को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। सोमवार को न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति एसके शिंदे की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि चुनाव टालने के संबंध में अभी सिर्फ मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय लिया गया है। सरकार अभी तक इस संबंध में अध्यादेश जारी नहीं किया। ऐसे में यदि सरकार चुनाव स्थगित करने के विषय में अध्यादेश जारी करती है तो याचिकाकर्ता उसे चुनौती दे सकता है। राज्य सरकार ने 7 अगस्त 2019 को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 25 जिला परिषद के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष व पंचायत समिति के सभापति व उपसभापति के चुनाव को चार महीने के लिए टालने के विषय में फैसला किया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ  इगतपूरी पंचायत समिति के सदस्य सोमनाथ जोशी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता एसबी तलेकर ने कहा कि चुनाव टालने के संबंध में सरकार की ओर से लिया गया निर्णय असंवैधानिक व लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। यह फैसला मनमानीपूर्ण व किसी भी दृष्टि से तर्कसंगत नहीं है। क्योंकि मंत्रिमंडल के पास इस तरह का निर्णय लेने का अधिकार नहीं ही नहीं है। लिहाजा चुनाव टालने के संबंध में लिए गए निर्णय को असंवैधानिक ठहराते हुए इसे निरस्त कर दिया जाए। चुनाव टालने का निर्णय संविधान के अनुच्छेद 243ई के विभिन्न प्रावधानों व अनुच्छेद 14 के खिलाफ है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि सरकार की ओर से चुनाव टालने के संबंध में लिए गए निर्णय के संबंध में कोई अध्यादेश जारी नहीं किया है। इसलिए यदि चुनाव को स्थगित करने के संबंध में सरकार अध्यादेश जारी करती है तो याचिकाकर्ता इसे चुनौती दे सकता है। यह कहते हुए खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 3 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। 

वहीं याचिका में कहा गया है कि सरकार की ओर से तर्क दिया गया है कि विधानसभा चुनाव के मद्दे नजर प्रशासन व पुलिस बल पर पड़नेवाले काम के दबाव के चलते चुनाव को टालने का निर्णय लिया गया है। जबकि जिला परिषद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष तथा पंचायत समिति के चुनाव की तारीख एक जैसी नहीं है। याचिका में दावा किया गया है कि राजनीतिक उद्देश्य के चलते जिलापरिषद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव में देरी की गई है।  ऐसे में चुनाव टालने के संबंध में दिया गया तर्क पूरी तरह से काल्पनिक व राजनीतिक है। इसलिए इसे स्वीकार न किया जाए। और सरकार को चुनाव कराने का निर्देश दिया जाए। 
 

Created On :   19 Aug 2019 12:51 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story