अब बॉम्बे हाईकोर्ट को मिले चार नए जज, एक मामले में कोर्ट ने कहा - बार-बार नोट और सिक्कों का आकार बदलना ठीक नही

Now Bombay High Court gets four new judges
अब बॉम्बे हाईकोर्ट को मिले चार नए जज, एक मामले में कोर्ट ने कहा - बार-बार नोट और सिक्कों का आकार बदलना ठीक नही
अब बॉम्बे हाईकोर्ट को मिले चार नए जज, एक मामले में कोर्ट ने कहा - बार-बार नोट और सिक्कों का आकार बदलना ठीक नही

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रपति ने बॉम्बे हाईकोर्ट के लिए चार अतिरिक्त जजों की नियुक्ति को अधिसूचित किया है। उन्होने चारों जजों को तत्काल प्रभाव से पदभार ग्रहण करने को कहा है। बॉम्बे हाईकोर्ट को जो चार नए अतिरिक्त जज मिले है उनके नाम अविनाश गुणवंत घारोटे, नितिन भगवंतराव सूर्यवंशी, अनिल सत्यकिशोर किलोर और मिलिंग नरेन्द्र जाधव है। यह सभी वरिष्ठता के क्रम में दो वर्षों के लिए पद धारण करेंगे। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 25 मार्च को बॉम्बे हाईकोर्ट जजों के रुप में माधव जामदार के नाम के साथ इन चार नामों की सिफारिश की थी। विधि व न्याय मंत्रालय ने बुधवार को इसकी अधिसूचना जारी की है।

बार-बार नोट व सिक्कों का आकार-प्रकार बदलना सही नही

उधर मुंबई में बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि अक्सर नोटों व सिक्कों के आकार-प्रकार को बदलना उचित नहीं है। क्योंकि एक नोट व सिक्के की खासियत को  को पूरी तरह से समझने में नेत्रहीनों को सालों लग जाते है। हाईकोर्ट ने कहा कि आरबीआई के पास नोटों व सिक्कों का आकार-रंग व अन्य चीजों को बदलने का अधिकार है। इसका मतलब यह नहीं है कि वह अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते समय सर्तकता न बरते। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ ने यह बाते ‘नेशनल एसोसिएशन फार ब्लाइंड’ की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई के बाद कही। याचिका में मुख्य रुप से नोट बंदी के बाद अाए नए नोटों व सिक्कों को पहचानने में नेत्रहीनों को हो रही दिक्कतों को दर्शाया गया है। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने आरबीआई को इस मामले में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

गुरुवार को जब यह याचिका खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी तो रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) के वकील ने कहा कि आरबीआई इस मामले को लेकर जानकारी व आकड़े जुड़ा रही है। इसलिए हलफनामा दायर करने के लिए समय दिया जाए। इस पर खंडपीठ ने कहा कि हमे आकड़े नहीं चाहिए हम सिर्फ इतना जानना चाहते हैं कि नोट व सिक्को के रंग-रुप को अक्सर बदलने का क्या कारण है। आरबीआई इस मुद्दे को हल्के में न ले। आरबीअाई के पास नोटों व सिक्कों के आकार बदलने का अधिकार है, इसका मतलब यह नहीं है वह अपने अधिकार का इस्तेमाल करते समय सर्तकता न बरते। खंडपीठ ने कहा कि अक्सर नोट व सिक्के के आकार प्रकार को बदलना उचित नहीं है। क्योंकि एक नोट व सिक्के को समझने में नेत्रहीनों को सालों का वक्त लगता है। आरबीआई का दावा है कि फर्जी करंसी पर लगाम लगाने के लिए उसने नए नोट लाए हैं लेकिन आरबीआई के आकड़े बताते हैं कि उनके इस दावे में कोई दम नहीं है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है और आरबीआई को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।  

मुरारजी देसाई के ‘भारत रत्न’ को लेकर दायर याचिका खारिज

वहीं बांबे हाईकोर्ट ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को 1991 में दिए गए सर्वोच्च नागरिक पुरस्तकार भारत रत्न को वापस लेने का निर्देश देने की मांग को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है। यहीं नहीं अदालत ने याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। अधिवक्ता जर्नादन जैसवाल ने इस विषय पर याचिका दायर की थी। जिसे खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि एक वकील से ऐसी अर्थहीन याचिका दायर करना अपेक्षित नहीं है। याचिका में मुख्य रुप से श्री देसाई की आत्मकथा ‘दि स्टोरी आफ माय लाइफ’ में लिखी गई आपत्तिजनक बातों के आधार पर उनसे पुरस्कार वापस लेने की मांग की गई थी। इसके साथ ही दावा किया गया था कि देसाई कभी इस पुरस्कार के समर्थन में नहीं थे फिर उन्होंने यह पुरस्कार को कैसे स्वीकार किया। लेकिन खंडपीठ ने याचिका को अर्थहीन करार देते हुए उसे खारिज कर दिया। 

एनएसईएल के घोटाले को लेकर 63 मून कंपनी की संपत्ति जब्त करना अवैध

वहीं नेशनल स्पाट एकसचेंज लिमिटेड(एनएसईएल) कोई वित्तीय प्रतिष्ठान नहीं है ऐसे में उसके प्रमोटर 63 मून टेक्नोलाजी कंपनी की संपत्ति महाराष्ट्र प्रोटेक्शन आफ इनटेरस्ट आफ डिपाजिटर इन फाइनेंसियल इस्टेबलिसमेंट (एमपीआईडी) कानून के तहत जब्त किया जाना वैध नहीं था। गुरुवार को बांबे हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ ने संपत्ति जब्त करने के संबंध में राज्य सरकार की ओर से जारी की गई सात अधिसूचनाओं को रद्द करते हुए यह निर्णय सुनाया है। एनएसईएल में हुई पांच हजार करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले की जांच के बाद संपत्ति के जब्त करने का आदेश जारी किया गया था। जिसके खिलाफ 63 मून टेक्नोलाजी कंपनी ने याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई के बाद खंडपीठ ने एमपीआईडी कानून के तहत 62 मून कंपनी के खिलाफ संपत्ति जब्त करने को लेकर की गई कार्रवाई को निरस्त कर दिया। 
 

Created On :   22 Aug 2019 2:29 PM GMT

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