कारखानों में 80 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार, पैथालॉजी लैब में जांच का रेट बोर्ड लगाना जरूरी

Now employment will give to 80 percent of local people in factories
कारखानों में 80 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार, पैथालॉजी लैब में जांच का रेट बोर्ड लगाना जरूरी
कारखानों में 80 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार, पैथालॉजी लैब में जांच का रेट बोर्ड लगाना जरूरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पैथालॉजी लैब संचालकों को जांच शुल्क की सूची लगाना जरूरी है। जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषद के सदस्य सचिव भास्कर तायडे ने परिषद की बैठक में इससंबंध में आदेश जारी किए। जांच शुल्क की सूची नहीं लगानेवाले पैथ पर कार्रवाई करने के आदेश जारी किए गए। निजी अस्पतालों में उपचार के दौरान रोगी को विभिन्न टेस्ट करने को कहा जाता है। टेस्ट के लिए रोगी पैथालॉजी लैब में जाता है। लैब में एक ही जांच का अलग-अलग शुल्क लेने की शिकायतें अक्सर मिलते रहती है। बैठक में यह मुद्दा जोर-शोर से उठा। श्री तायडे ने जिल्हा स्वास्थ्य अधिकारी व मनपा के स्वास्थ्य अधिकारी को इसका संज्ञान लेकर जिले में पैथालॉजी लैब संचालकों को जांच शुल्क की सूची लगाने के संबंध में कार्रवाई करने के आदेश दिए। रोगी की शिकायतों पर तुरंत एक्शन लेकर संबंधित पैथ पर एक्शन लेने को कहा। बैठक में प्रापर्टी टैक्स भरने के बावजूद रसीद नहीं मिलने, सुविधायुक्त एंबुलेंस, अवैध मांस बिक्री, धर्मार्थ अस्पताल, एक्सपायरी दवा की बिक्री, आधार कार्ड के लिए तय राशि से अधिक राशि की मांग, बिसलेरी पानी की बिक्री विक्री आदि विषयों से संबंधित समस्या पर चर्चा हुई। संबंधित विभागांे के अधिकारियों को इस पर ध्यान देने की सूचना की। बैठक में परिषद के अशासकीय सदस्य भीमराव आवले, प्रकाश त्रिवेदी, सहायक पुलिस आयुक्त (यातायात) चक्षुपाल बहादुरे, सहायक धर्मादाय आयुक्त माणिकराव सातव, स्वास्थ्य विभाग के के. जी. मसराम, एसनडीएल के विनोद काटोले, कृषि उत्पन्न बाजार समिति के विकास देशमुख, महावितरण के विनोद सोनकुसले, जि.प. सामान्य प्रशासन विभाग के वि.वा. पोतदार आदि अधिकारी उपस्थित थे।

जलगांव के आयुर्वेद महाविद्यालय में 100 छात्रों को मिलेगा प्रवेश 

उधर मुंबई में जलगांव के शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय व अस्पताल में बीएएमएस प्रथम वर्ष के लिए 100 विद्यार्थियों के प्रवेश की अनुमति दी गई है। शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में विद्यार्थियों को शैक्षिणक वर्ष 2019-20 में प्रवेश मिल सकेगा। गुरुवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से इस संबंध में शासनादेश जारी किया गया। इसके अनुसार आयुर्वेद महाविद्यालय में प्रवेश के लिए निश्चित तय की गई क्षमता से अधिक दाखिला नहीं किया जा सकेगा। आयुर्वेद महाविद्यालय को बीएएमएस प्रथम वर्ष के पाठ्क्रम को नाशिक के स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय से संलग्न कराने के बाद प्रवेश प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी। 

कारखानों में 80 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार 

प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सत्ताधारी भाजपा की सहयोगी शिवसेना को एक बार फिर भूमिपुत्रों की याद आई है। मध्यप्रदेश और आंध्रप्रदेश सरकार के फैसले के बाद अब महाराष्ट्र सरकार भूमिपुत्रों को प्रदेश के कारखानों में 80 प्रतिशत रोजगार सुनिश्चित करने के लिए संबंधित शासनादेश में संशोधन करेगी। गुरुवार को मंत्रालय में पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने यह जानकारी दी। देसाई ने कहा कि प्रदेश में कारखानों में भूमिपुत्रों को 80 प्रतिशत रोजगार देने का शासनादेश हैं। लेकिन भूमिपुत्रों को जिला स्तर पर कारखानों में 80 प्रतिशत रोजगार सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा शासनादेश में संशोधन किया जाएगा। इसमें ठेके पर काम करने वाले मजदूरों को भी शामिल किया जाएगा। इससे जिले और तहसील में रहने वाले नौजवानों को उनके यहां के स्थानीय कारखानों में नौकरी के लिए पात्र माना जाएगा। देसाई ने कहा कि कारखानों को स्थानीय लोगों को रोजगार देने संबंधी सभी जानकारी ऑनलाइन करनी होगी। देसाई ने कहा कि स्थानीय लोगों को रोजगार में 80 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए जरूरत पड़ी तो कानून भी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कारखानों की स्थापना के बाद उन्हें निवेश का कुछ रिर्टन दिया जाता है। लेकिन अब जिन कारखानों में 80 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं दिया जाएगा उनकी सहूलियत रोक दी जाएगी। इसके साथ ही कानूनी रूप से उनपर अंकुश लगाने का प्रयास किया जाएगा। उद्योग मंत्री देसाई ने कहा कि राज्यभर क कारखानों में स्थानीय लोगों के लिए 80 प्रतिशत आरक्षण है। लेकिन जिला स्तर पर यह शिकायतें मिलती हैं कि स्थानीय लोगों को कारखानों में नौकरी नहीं दी जाती। कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की जानकारी मस्टर पर नहीं दिखाई जाती है। इसलिए शासनादेश में संशोधन करने का फैसला किया गया है। देसाई ने कहा कि सुपरवाइजर स्तर की नौकरियों में 80 प्रतिशत आरक्षण है पर कारखानों में सुपरवाइजर स्तर की नौकरियों में स्थानीय लोगों को लक्ष्य से ज्यादा 84 प्रतिशत रोजगार मिला है। जबकि मजदूरों को मिलाकर 90 प्रतिशत तक रोजगार मिले हैं। इसकी जांच जिलाधिकारियों की अध्यक्षता वाली समिति ने की है।

बड़े उद्योगों में 9.69 लाख रोजगार

देसाई ने बताया कि प्रदेश में 3 हजार 52 बड़े उद्योग हैं इसमें 9 लाख 69 हजार 495  लोगों को रोजगार मिला है। जबकि 10 लाख 26 हजार 992 सुक्ष्म, लुघ और मध्यम उद्योग हैं। इसमें 60 लाख रोजगार पैदा हुआ है। 

आंध्रप्रदेश-मध्यप्रदेश से पहले महाराष्ट्र में आरक्षण

देसाई ने कहा कि मध्यप्रदेश और आंध्रप्रदेश सरकार के फैसले के बाद ऐसा आरोप लगाया गया कि महाराष्ट्र सरकार भूमिपुत्रों को रोजगार देने में पीछे नजर आ रही है। लेकिन सच्चाई यह है कि भूमिपुत्रों को 80 प्रतिशत रोजगार के लिए राज्य सरकार ने 19 नवंबर 1968 में शासनादेश जारी किया था। इसके बाद संबंधित शासनादेश में साल 1970, साल 1973, साल 2005, साल 2006 और 2008 में संशोधन किया गया है। 

वक्फ संपत्तियों त्रिसदस्यीय न्यायाधिकरण

इसके अलावा महाराष्ट्र त्रिसदस्यीय न्यायाधिकरण बनाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। अभी तक राज्य के सभी जिलों के नागरिकों को वक्फ संपत्ति से जुड़ी सुनवाई के लिए औरंगाबाद में जाना पड़ता था लेकिन अब त्रिसदस्यीय न्यायाधिकरण की स्थापना से नागरिकों की परेशानी दूर हो सकेगी। त्रिसदस्यीय न्यायाधिकरण के फैसले से धार्मिक कार्यों की जमीन का गलत इस्तेमाल नहीं हो सकेगी। गुरुवार को प्रदेश के अल्पसंख्यक विकास मंत्री विनोद तावडे ने यह जानकारी दी। तावडे ने कहा कि वक्फ संपत्ति के दूसरे चरण के सर्वेक्षण का काम शुरू है। फिलहाल पुणे और परभणी जिले में वक्फ संपत्ति के सर्वेक्षण का काम अंतिम चरण में है। संपत्ति की सुरक्षा और उस पर अतिक्रमण रोकने के लिए वक्फ संपत्ति के जमाबंदी आयुक्त के माध्यम से सर्वेक्षण शुरू है। दूसरे सर्वेक्षण के लिए सभी जिले के अतिरिक्त जिलाधिकारी संबंधित जिले के औकाफ के अतिरिक्त सर्वेक्षण आयुक्त और तहसीलदार को संबंधित तहसील के सहायक सर्वेक्षण आयुक्त के रूप में नियुक्ति की गई है। 
 


 

 

Created On :   1 Aug 2019 10:33 PM IST

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