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अब किसान आसानी से जान पाएंगे अपनी जमीन की वास्तविक कीमत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, सुनील निमसरकर। कृषि जमीन से जुड़ी समस्याओं के हल के लिए देश में पहली बार एक कृषि भूमि मूल्य सूचकांक तैयार किया गया है। भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद के मिसरा सेंटर फॉर फाइनेंसियल मार्केट्स एंड इकोनॉमी सेंटर ने यह सूचकांक तैयार किया है, जिसके तहत किसान यह जान सकेंगे कि उनकी कृषि योग्य जमीन का वासतविक मूल्य क्या है। पायलट योजना के तहत अभी इसमें महाराष्ट्र समेत छह राज्यों को शामिल किया गया है।
यह सूचकांक एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में काम करेगा और ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भूमि की कीमतों को बेंचमार्क करेगा। इस सूचकांक में डेटा आधारित समर्थन भूमि की कीमतों में काम करने वाली एक निजी फर्म एस्फार्मा इंडिया द्वारा प्रदान किया जा रहा है। इस योजना को पायलट योजना के तौर पर छह राज्यों में कार्यान्वित किया जा रहा है। इनमें महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश शामिल है। सितंबर 2022 तक इसमें और राज्यों को शामिल किया जा रहा है।
आईआईएम के रियल इस्टेट फाइनेंस के प्रोफेसर प्रशांत दास के इस सूचकांक की जरुरत के बारे में बताते हुए कहा कि ज्यादातर किसान अपनी कृषि भूमि से जो रिटर्न मिलता है वह फिलहाल बहुत कम है। किसानों को खेती में उपज से महज 0.5 से 2 फीसदी का रिटर्न हासिल हो पा रहा है। ऐसे में यह कृषि सूचकांक किसानों को कृषि योग्य भूमि की बिक्री के लिए काफी मददगार साबित होगा। उनका कहना है कि देश में 80 फीसदी कृषि परिवार खुद के कामकाज पर निर्भर हैं जबकि 70 प्रतिशत फसलों का उत्पादन करते हैं। खेती की जमीनों के अच्छे सौदे का भी उनके पास कोई साधन नहीं है। ऐसे में रियल एस्टेट की तर्ज पर कृषि भूमि की खरीद-फरोख्त में किसानों को इससे काफी मदद मिलेगी।
इस सूचकांक में कृषि योग्य भूमि की कीमत निर्धारण के लिए सर्कल रेट, रेवन्यू में दर्ज जमीन के प्रकार आदि विषयों का अभी समावेश नहीं किया गया है। दास ने कहा कि सूचकांक के लिए इन बिंदुओं को आगे शामिल किया जाएगा। लेकिन फिलहाल सूचकांक किसानों की भूमि का मूल्य बताने के लिए चार मुख्य कारकों पर विचार किया गया है। इनमें सिंचाई, नजदीकी कस्बे से दूरी, नजदीकी एयरपोर्ट से दूरी, अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की संभावना को प्रमुखता से शामिल किया गया है। यदि भूमि में सिंचाई की सुविधा है तो इसकी लागत 15 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जबकि भूमि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की संभावना है तो इसमें 20 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इस तरह शहर से दूर होने पर दूरी के हिसाब से 0.5 फीसदी प्रति किलोमीटर का प्रभाव पडेगा।
Created On :   7 Jun 2022 9:57 PM IST