नायलॉन मांजा बन जाता है काल, इंसान ही नहीं सैकड़ों पशु-पक्षी होते हैं रोज घायल

Nylon manja becomes time, not only humans but hundreds of animals and birds are injured everyday
नायलॉन मांजा बन जाता है काल, इंसान ही नहीं सैकड़ों पशु-पक्षी होते हैं रोज घायल
नायलॉन मांजा बन जाता है काल, इंसान ही नहीं सैकड़ों पशु-पक्षी होते हैं रोज घायल

डिजिटल डेस्क,  नागपुर ।  पिछले वर्ष मकर संक्रांति के आस-पास नागपुर में नायलॉन मांजे के कारण दर्जनों गंभीर दुर्घटनाएं हुई थीं, जबकि वर्ष 2016 में छह वर्षीय बच्चे की जान चली गई थी। इस खतरनाक मांजे से सैकड़ों पशु-पक्षी हर वर्ष घायल होते हैं, जिनमें से अधिकतर की मौत हो जाती है। इस वर्ष ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए शहर की कई संस्थाएं जनजागरूकता के साथ-साथ लोगों को घायल पशु-पक्षियों की मदद और उन्हें तत्काल वेटरिनरी डॉक्टर से मदद उपलब्ध कराने का प्रशिक्षण प्रदान कर रही है। मूड ऑफ ग्रुप सेफ बर्ड हर रविवार को वेटरिनरी डॉक्टर प्रशिणार्थियों को घायल पशु-पक्षियों की मदद के लिए प्रशिक्षण दे रहा है। ग्रुप के प्रमुख पंकज आसरे और वैभव देशपांडे हर रविवार को युवाओं के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करते हैं। कई पुलिस थानों ने पुलिस मित्रों के साथ मिलकर भी नायलॉन मांजे के खिलाफ जागरूकता रैली निकाली है।

हर वर्ष होते रहे हैं हादसे
2017 में हुडकेश्वर में 23 वर्षीय युवक की और वर्ष 2016 में बर्डी में छह वर्षीय बच्चे की नायलॉन मांजे से गला कटने के कारण मौत हो गई थी। पिछले वर्ष भी पांच लोगों का गला कट गया था। सारंग बालपांडे की श्वासनली बस कुछ सेमी के लिए बची थी।  पिछले सप्ताह सीताबर्डी में हुए हादसे में विनोद बोधाने के गले पर पांच से ज्यादा गहरे जख्म हुए थे। विशाल नेटके के बाएं हाथ का अंगूठा पूरी तरह से अलग होने से कुछ इंच के लिए ही बचा था। 

बेजुबानों की जान पर आफत 
इंसानों के साथ हुई अधिकतर दुर्घटनाओं में घायलों को उपचार भी मिल जाता है, लेकिन मांजे के कारण सैकड़ों पक्षी जान गंवा देते हैं और हजारों घायल होते हैं। पेड़ों की शाखाओं पर भी मांजे उलझे रहते हैं। कई पक्षी इसमें फंसकर जान गंवा देते हैं। -पंकज आसरे

हर वर्ष दर्जनों पक्षी नायलॉन मांजे में फंसकर जान गंवा देते हैं और सैकड़ों घायल होते हैं। पिछले वर्ष संक्रांति के आस-पास सौ नंबर पर पक्षियों को बचाने के लिए पचास से ज्यादा फोन आए थे। -वैभव देशपांडे, बर्ड लवर और ग्रो विल के सदस्य

उपयोग करने वालों पर लगे जुर्माना
देश में नायलॉन मांजे के उपयोग पर वर्ष 2017 में एनजीटी ने प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बावजूद पतंगबाजी में जमकर इसका उपयोग होता है। संबंधित दुकानों पर छापामार कार्रवाई की जाती है, लेकिन इसका उपयोग करने वालों पर भी जुर्माने का प्रावधान किया जाना चाहिए।  -कुंदन हाते, मानद वन्यजीव वार्डन

दुर्घटना के बाद किया निश्चय
वर्ष 2009 में वर्द्धमान नगर में नायलॉन मांजे से एक बच्चे की जान चली गई थी। उसके बाद मैंने इसके खिलाफ काम करने का निश्चय किया।  पिछले शुक्रवार को पांचपावली पुलिया पर एक युवक घायल हो चुका है। दिघोरी में प्रगति हॉल के पास मांजे में फंस कर दूधवाले के अचानक गिरने से पीछे आ रहे वाहन ने उसे टक्कर मार दी थी।  -अरविंद रतुड़ी, किंग कोबरा आर्गनाइजेशन
 

Created On :   13 Jan 2020 6:33 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story