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भारत में बना दिया स्कॉटलैंड, ब्लू रिवॉल्यूशन का सपना लिए इस वैज्ञानिक ने संवारी हजारों परिवारों की जिन्दगी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। चेरी ब्लॉसम का नाम सुनते ही उन ठंडी बादियों का ख्याल आता है, जिसकी एक झलक के लिए दुनियाभर के पर्यटक लाखों खर्च कर खूबसूरत नजारे का लुत्फ उठाने जापान, स्कॉटलैंड और अमरीका की ओर निकल पड़ते हैं, लेकिन अब वही शानदार नजारा भारत के मणिपुर में भी दिखने लगा है, जो देश का स्कॉटलैंड बनकर उभरा है, हालांकि इसे साकार करने के पीछे एक ऐसे जीव वैज्ञानिक का हाथ है, जिनका नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है।
एयर इमरजेंसी है दिल्ली का प्रदूषण
दीनबंधु साहू ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को एयर इमरजेंसी करार दिया। उन्होंने कहा कि ऑड-ईवन से बात नहीं बनेगी, इसके लिए तत्काल प्रभाव से प्रदूषण के स्रोतों पर काम करना होगा। पराली जलाना बंद करना होगा। ईंट भट्टे भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं,लांग टाइम सॉल्यूशन को मिशन बना काम करने की जरूरत है, सड़कों की डस्ट मशीनों से साफ की जानी चाहिए। कुछ दिन पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 356 रहा, जो 'बेहद खराब श्रेणी में आता है। ये चिन्ता का विषय है।
देश के लिए कुछ करने की ललक
॰ साहू ने सन 1989 में दिल्ली विश्वविद्यालय से बॉटनी में पीएचडी पूरी की और यूएस चले गए, लेकिन देश के लिए कुछ करने की ललक वापस दिल्ली खींच लाई।
॰ शोधकर्ता के रूप में समुद्रीय शैवाल पर काम किया। इसपर फार्मिंग द ओशियन नाम की किताब भी लिखी।
॰ विश्व मुक्केबाजी में अपनी धाक जमाने वाली मेरी कॉम को लेकर शार्ट फिल्म बना चुके हैं, जिसका नाम “बॉयोडाईवर्सिटी ऑफ लाइफ” है। इस फिल्म में पॉल्यूशन से लड़ाई का आहवान किया।
साहू ने भारत के विभिन्न तटीय इलाकों का दौरा किया और गांववालों को प्रशिक्षण देने के लिए चिल्का मॉडल बनाया। उन्हें शैवाल की खासियत बताई। यह प्रोजेक्ट उड़ीसा ही नहीं भारत के बाकी तटीय राज्यों और विदेशों में भी खासा असर दिखा सकता है।
दीनबंधु साहू ने समंदर की शैवाल पर रिसर्च किया। वैसे यह जापानी, कोरियन्स और चीनी लोगों का खास व्यंजन भी है, जो उन्हें स्वास्थ्य रखता है। इसमें एंटी कोलेस्ट्रॉल तत्व होते हैं। जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद है, इसमें मिनरल, विटामिन के अलावा काफी मात्रा में प्रोटीन होता है और फैट की मात्रा सबसे कम होती है। महाराष्ट्र के तटीय इलाके में इसकी खेती की जा सकती है। जिससे न केवल ग्रामीणों की जिन्दगी सुधरेगी, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी फायदा होगा। इससे पहले साहू ने अपने प्रोजेक्ट चिल्का के जरिए उड़ीसा में लोगों को समुद्री खेती करनी सिखाई, जिससे कई परिवारों की जिन्दगी संवर गई।
किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि समुद्र में भी खेती की जा सकती है, इसके लिए साहू ने सी फार्मिंग मॉडल पेश किया, जो एक हजार करोड़ की इडस्ट्री का खाका खींचने भर ही नहीं बल्कि सैंकड़ों मछुआरा परिवारों के पेट पालने का जरिया भी बना। यह खेती काई (शैवाल) की है, जो समुद्र से निकलती है। इसे सी वीड भी कहा जाता है। काई समुद्र में पैदा होने वाली वह फसल है, जिसका उपयोग, खाद्य पदार्थों के अलावा, दवा सहित (कैप्सूल के खोल) बनाने और रोजाना इस्तेमाल आने वाली चीजों में भी किया जा सकता है, जिनमें टूथपेस्ट भी शामिल है।
इंस्टिट्यूड ऑफ बॉयो रिसोर्सेज के डायरेक्टर दीनबंधु साहू मणिपुर और दिल्ली में अपनी सेवा दे चुके हैं। खास बात है कि उन्होंने किताबी दुनिया से बाहर जमीनी सतह पर जो कार्य किए उससे हजारों लोगों को तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ रोजगार भी मिला।
आर्किड के लाभ बताए
आर्किड एक सुंदर फूल है। इस फूल की सजावट के लिए खासी डिमांड होती है। अपने अनोखे रूप रंग के कारण अन्य फूलों से अलग है। भारत में आर्किड की लगभग 1200 प्रजातियां पायी जाती हैं। आर्किड को थायलैंड से इंपोर्ट किया जाता था, लेकिन दीनबंधु साहू ने जब इसके बारे में लोगों को बताया तो रोजगार ने नए अवसर तैयार हुए।
दीनबंधु साहू ने पहली बार भारत में चेरी ब्लॉसम फैस्टीवल का आयोजन किया। साल 2016 में मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में दुनियाभर से 30 हजार लोग इसमें हिस्सा लेने आए थे। इसके साथ ही चेरी ब्लॉसम के 10 हजार पेड़ लगाए गए। साहू ने पर्यटन को मजबूत करने में चेरी ब्लॉसम की सामाजिक और आर्थिक अहमियत को समझकर इस प्रकार की अनूठी पहल शुरु कर दी। केंद्र की मदद से राज्य सरकार ने चेरी ब्लॉसम फैस्टीवल को यूनीक बना दिया। देखते ही देखते हर साल फेस्टीवल में सैलानियों की संख्या बढ़ने लगी। इस बार तो पर्यटकों का आंकड़ा 2 लाख से ऊपर पहुंच गया। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिला। पर्यटकों ने फैशन शोज, रॉक कॉन्सर्ट और गोल्फ टूर्नामेंट जैसे आयोजन का लुत्फ उठाया। पारम्परिक नृत्य, साइकिल रैली सहित फोटोग्राफी कॉम्पिटीशन का खास हिस्सा होते हैं। हर साल नवंबर का महीना चेरी से खिल उठता है। जाहिर है इस गुलाबी फूल की खूबसूरती को निहारने के लिए अब विदेश जाने की जरूरत नहीं है।
दीनबंधु साहू उन 20 खास लोगों की लिस्ट में शुमार हैं, जो तकनीकि तौर से देश को बदलना चाहते हैं, ताकि भारत आने वाले समय में विश्व गुरु बन कर अभरे। इसका जिक्र रशमी बंसल की लिखी एक किताब “आई हैव ए ड्रीम” में भी किया गया है। संतरा नगरी में नीरी के एक कार्यक्रम में उन्हें सम्मानित किया गया। इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर एनर्जी इनवार्यमेंट एंड सस्टेनेबिलिटी में फैलोशिप और रिसर्च में उल्लेखनीय कार्यों के लिए उन्हें नवाजा गया है।
Created On :   29 Nov 2019 6:44 PM IST