स्मार्ट सिटी के लिए तय भूमि को सुरिक्षित नहीं कर पा रहे अधिकारी

Officials unable to secure land fixed for smart city
स्मार्ट सिटी के लिए तय भूमि को सुरिक्षित नहीं कर पा रहे अधिकारी
स्मार्ट सिटी के लिए तय भूमि को सुरिक्षित नहीं कर पा रहे अधिकारी

डिजिटल डेस्क सतना। स्मार्ट सिटी का भगवान ही मालिक है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत यहां  एरिया बेस्ड डेवलपमेंट (एबीडी) के लिए चिन्हित तरकीबन 300 एकड़ सरकारी जमीन अभी तक शासन स्तर से सतना स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट लिमिटेड (एसएसडीएल) के नाम पर आवंटित नहीं हो पाई है। केंद्र सरकार ने यहां इस प्रोजेेक्ट के लिए मार्च 2017 में हरी झंडी दी थी। इतना ही नहीं इसी प्रयोजन से फिलहाल आरक्षित 300 एकड़ शासकीय भूमि में से मौके पर लगभग 150 एकड़ सरकारी जमीन का हिसाब नहीं है। सरकारी भूमि का ज्यादातर हिस्सा अवैध अतिक्रमण का शिकार है। एक चुनौती पूर्ण तथ्य ये भी है कि एबीडी के लिए चिन्हित लगभग 362 एक प्रायवेट जमीनों के निर्माण कार्यों पर भी अभी तक रोक नहीं लगाई जा सकी है। अलबत्ता, खरीदी-बिक्री प्रतिबंधित है। निजी भूमियों को स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए हस्तांतरित करने का भी कोई सर्वमान्य फार्मूला नहीं तय हो पाया है। एबीडी का मास्टर प्लान स्वीकृति की प्रत्याशा में 8 माह से  राजधानी भोपाल स्थित ग्राम तथा नगर निवेश के संचालनालय की फाइलों में फंसा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को यहां नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव संजय दुबे की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इस आशय के सनसनीखेज तथ्य सामने आए। 
 पुराने शहर में नए कामों के लिए केंद्र को भेजें प्रस्ताव :--
 स्मार्ट सिटी के कामकाज की समीक्षा के दौरान नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव 
 ने कलेक्टर और निगमायुक्त के समक्ष इस आशय का भी प्रस्ताव रखा कि वे स्मार्ट सिटी के फंड से पुराने शहर में नए निर्माण एवं विकास कार्यों का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजें। उल्लेखनीय है ओल्ड सिटी को स्मार्ट बनाने के लिए अभी 470 करोड़ के निर्माण एवं विकास कार्य प्रस्तावित हैं। 
6 घंटे निरीक्षण और 3 घंटे चली मीटिंग :-------
नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव संजय दुबे शुक्रवार को सुबह साढ़े 9 बजे नगर भ्रमण पर निकले। सर्किट हाउस चौक, सिविल लाइन, कमांड सेंटर, अमृत पार्क, भरहुत नगर नाला, महदेवा स्थित सीवरेज के एसटीपी प्लांट के अलावा पीएम आवास की कालोनियों, मैहर बायपास और एबीडी का निरीक्षण तकरीबन 6 घंटे तक चला। इस दौरान  ग्राम तथा नगर निवेश के संचालक स्वतंत्र कुमार , नगरीय प्रशासन के अपर आयुक्त राकेश सिंह, कलेक्टर डा.सतेन्द्र सिंह और नगर निगम के कमिश्नर अमनवीर सिंह भी उनके साथ थे। बाद में स्मार्ट सिटी के अलावा नगर निगम के कामकाज की समीक्षा लगभग 3 घंटे तक चली। 
 ईई समेत नगर निगम के 3 इंजीनियर के 2-2 इंक्रीमेंट रोंके :-----
 प्रधानमंत्री ग्रामीण एवं शहरी आवास योजना के तहत 188 करोड़ की लागत से निर्मित आवासीय भवनों के निरीक्षण के बाद नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव कर्तव्य के प्रति लापरवाही पर निगम के ईई अरुण तिवारी, एई केपी शर्मा और सब इंजीनियर रोजल सिंह के 2-2 इंक्रीमेंट रोकने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि आवास योजना का उद्ेश्य शहर को स्लम मुक्त करना है। आवास आवंटन के बाद खाली जमीनों में नगर निगम का अधिपत्य स्थापित होना चाहिए। हितग्राहियों के लिए होम लोन की पहल और उन्हें रोजगार के अवसर देने का काम भी नगर निगम की ओर से किया जाना चाहिए। 
 केके स्पन को टेंडर टर्मिनेट करने की चेतावनी :-------
अमृत योजना के तहत महदेवा में बनाए जा रहे एसटीपी प्लांट की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने केके स्पन के प्रोजेक्ट आफीसर को दो टूक चेतावनी दी कि वे पहले 3 जोन के बजाय एक जोन का काम पूरा करें । अगर, काम में गुणवत्ता तय मानकों पर नहीं पाई गई तो टेंडर टर्मिनेट कर दिया जाएगा।  उन्होंने अमृत योजना के तहत ही 1447.24 लाख की लागत से नए सिरे से बनाए गए शहर के सबसे बड़े खेरमाई नाले के काम में भी गुणवत्ता की कमी पाई। 
 नो पार्किंग पर वसूलें 3 गुना पेनाल्टी :-----
प्रमुख सचिव ने अमृत पार्क को हर आयु वर्ग के लिहाज से विकसित किए जाने के निर्देश दिए। इसी तरह गहरानाला में एनएच पर निर्मित गैरतकनीकी पुलिया के संबंध में भी नााराजगी जताई। साफ -सफाई पर संतोष व्यक्त करते हुए नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव ने काम निजी हाथों से हैंडओवर करने के निर्देश दिए। उन्होंने शहर में स्मार्ट पार्किंग विकसित करने के निर्देश देते हुए कहा कि नो पार्किंग में पकड़ में आने वाले वाहनों से तीन गुना पेनाल्टी वसूली जाए। पीएस ने राजस्व  वसूली पर भी जोर दिया। उल्लेखनीय है,फीड बैक के उद्देश्य से नगरीय प्रशासन विभाग की एक टीम पहले से ही यहां पहुंच गई थी।  
 

Created On :   1 Feb 2020 9:49 AM GMT

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