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मृत्युपूर्व बयान के साथ अन्य सबूत भी जरूरी : HC
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया है कि आपराधिक मामलों में पीड़ित द्वारा दिए गए मृत्युपूर्व बयान के आधार पर ही किसी आरोपी का दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता। इसके लिए अन्य ठोस सबूत भी जरूरी है। इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि, मृत्यु के पूर्व बयान दर्ज कराते वक्त पीड़ित की मानसिक और शारीरिक स्थिति कैसी है, उसके आस-पास का माहौल कैसा है।
कोर्ट ने घरेलू हिंसा के बीच बहू की हत्या के आरोपी सास को बरी कर दिया। आरोपी का नाम कमलाबाई लस्ताने (65, खेडपिंपरी, जि.अमरावती) है। उस पर अपनी बहू सोनू पर मिट्टी का तेल डाल कर जलाने का आरोप था। उसे निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। आरोपी ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनकर उसे बरी कर दिया।
यह था मामला
पुलिस में दर्ज मामले के अनुसार, घटना 24 अप्रैल 2013 की है। कमलाबाई के बेटे संदीप से साेनू नामक युवती का विवाह हुआ था। शादी के बाद घर में झगड़े बढ़ गए थे। ऐसे में पति-पत्नी ने घर के ही एक हिस्से में अपना स्वतंत्र गृहस्थी शुरू की थी। खाना भी अलग ही पका करता था। घटना के दिन सुबह करीब 8 बजे सोनू घर में काम करते वक्त आग में जल गई। लोगों ने फौरन उसे अमरावती के सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया। दोपहर 2 बजे के करीब पुलिस अस्पताल पहुंची और पीड़िता का बयान दर्ज किया।
पीड़िता ने अपने बयान में पुलिस को बताया कि उसकी सास कमलाबाई ने मिट्टी का तेल डाल कर उसे जलाया है। पीड़िता ने मरने के पूर्व अपनी मां को भी यही बात बताई थी, जिसे बाद में सरकारी पक्ष ने मौखिक बयान के तौर पर मुकदमे में इस्तेमाल किया। बयान देने के बाद रात करीब 10.45 बजे सोनू की मृत्यु हो गई। उसके मृत्युपूर्व दिए गए बयान के आधार पर पुलिस ने कमलाबाई के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया। मामले में सत्र न्यायालय ने कमलाबाई को दोषी मान कर उसे उम्रकैद और 1 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।
Created On :   6 May 2019 2:03 PM IST