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अवैध रुप से प्राणियों को ले जा रहे वाहन के मालिक को उठाना होगा जब्त किए गए पशुओं का खर्च
डिजिटल डेस्क, मुंबई। अवैध रुप से प्राणियों को ले जा रहे वाहन के पकड़े जाने पर वाहन मालिक को मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तक प्राणियों की देखरेख,भोजन व सेहत का खर्च उठाना पड़ेगा। बांबे हाईकोर्ट ने इस संबंध में दिए गए निचली अदालत के निर्णय को कायम रखते हुए यह फैसला सुनाया है। इससे पहले निचली अदालत ने वाहन मालिक अलताफ शेख व प्रकरण से जुड़े आरोपियों मिलकर महाराष्ट्र प्राणी सुरक्षा कानून के तहत जब्त किए गए प्राणियों की देखरेख व उपचार के लिए मई 2022 तक के लिए 96 हजार रुपए देने का निर्देश दिया था। इसके बाद मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तक रोजाना दौ सौ रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया था। नाशिक की निचली अदालत की ओर से दिए गए इस आदेश को शेख ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। नाशिक पुलिस ने अवैध रुप से भिवंडी लाई जा रही 23 भैसों को जब्त किया था। जिनकी देखरेख का जिम्मा निचली अदालत ने वाहन मालिक व अन्य आरोपियों को उठाने का निर्देश दिया है। नाशिक के घोटी पुलिस स्टेशन ने इस मामले को लेकर 19 अप्रैल 2022 को एफआईआर दर्ज की थी।
न्यायमूर्ति पीडी नाइक के सामने शेख की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान ट्रक मालिक शेख की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि प्राणियों की देखरेख को लेकर निचली अदालत की ओर से दिया गया आदेश अवैध है। क्योंकि उनके मुवक्किल प्राणियों की अवैध बिक्री अथवा परिवहन से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने ट्रक किराए पर दिया था। इसलिए मेरे मुवक्किल को जब्त किए गए प्राणियों की देखरेख के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। क्योंकि मेरी मुवक्किल सिर्फ उस वाहन के मालिक है। जिस पर प्राणियों को ले जाया जा रहा था। उन्हें बॉंड भरने के बाद अपना वाहन भी मिल गया है। अब उन्हें प्राणिये की देखरेख के लिए पैसे देने के लिए नहीं कहा जा सकता है।
वहीं याचिका का विरोध करते हुए अतिरिक्त सरकारी एआर पाटिल ने कहा कि मामले को लेकर सत्र न्यायालय व मजिस्ट्रेट कोर्ट की ओर से जारी किया गया आदेश अवैध नहीं है। क्योंकि जब्त किए गए वाहन में प्राणियों को अवैध व बर्बर तरीके से भिवंडी जा रहा था। प्राणियों की क्रूरता पर प्रतिबंध लगानेवाले कानून में इस तरह के मामले में वाहन मालिक व आरोपियों को संयुक्त रुप से प्राणियों की देखरेख से जुड़ा खर्च उठाने का प्रावधान किया गया है। इस संबंध में उन्होंने राज्य सरकार की ओर से 2 जुलाई 2019 को जारी परिपत्र को भी पेश किया।
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति पीडी नाइक ने कहा कि याचिकाककर्ता सिर्फ ट्रक का मालिक है सिर्फ इसके आधार पर वह प्राणियों की देखरेख के लिए तय किए गए खर्च को देने से नहीं बच सकता है। इसलिए उसे निचली अदालत की ओर से प्राणियों की देखरेख के लिए तय की गई राशि का भुगतान करना होगा। इस तरह न्यायमूर्ति ने मामले से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया और निचली अदालत के आदेश को कायम रखा।
Created On :   28 Dec 2022 9:06 PM IST