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सदन : ओबीसी आरक्षण में क्रीमीलेयर के प्रावधान को समाप्त करें सरकार, सतारा-सोलापुर का पानी बारामती को देना गलत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रावेर से भाजपा सांसद रक्षा खडसे ने बुधवार को लोकसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण में लगे क्रीमीलेयर के अडंगे से हो रहे नुकसान की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए इसे हटाने की पूरजोर मांग की। साथ ही 2020-21 की जनगणना में ओबीसी की जाति आधारित जनगणना कराए जाने की भी मांग उठाई। सांसद खडसे ने इन मुद्दों को उठाते हुए कहा कि उन्हें ओबीसी वर्ग के कई संगठनों से निवेदन प्राप्त हुए है, जिसमें ओबीसी आरक्षण में क्रीमीलेयर में (वेतन और घरेलु आय को शामिल किया है) के प्रावधानों को समाप्त करने की मांग की है। उनका कहना है कि इस प्रावधान के कारण ओबीसी के ज्यादातर लोग आरक्षण से वंचित है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि ओबीसी आरक्षण में क्रीमीलेयर प्रावधानों पर संसदीय समिति की रिपोर्ट को स्वीकार करें, जिससे ओबीसी आरक्षण का लाभ वर्ग को मिल सके। उन्होंने सदन में सरकार एवं सामाजिक न्याय मंत्री से अनुरोध किया कि 2020-21 की जनगणना में ओबीसी की जाति आधारित जनगणना कराई जाए, ताकि संख्या के अनुपात में इस वर्ग को आरक्षण बढकर मिले और आरक्षण नियमों में क्रीमीलेयर की शर्त को हटाई जाए
सतारा-सोलापुर का पानी बारामती को देना गलत : निंबालकर
भाजपा सांसद रणजीत निंबालकर ने सोलापुर और सतारा क्षेत्र का पानी बारामती को देने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले का विरोध किया है। उन्होने केन्द्र सरकार से मांग की है कि नीरादेवघर और गुंजवणी बांध का पानी फिर से सतारा व सोलापुर के सूखाग्रस्त इलाके को दिलाया जाए। सांसद निंबालकर ने यह मसला बुधवार को लोकसभा में नियम 377 के तहत उठाया। उन्होंने कहा कि मेरा संसदीय क्षेत्र माढ़ा पहले से ही सूखाग्रस्त क्षेत्र है। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने सोलापुर और सतारा के सूखाग्रस्त का पानी बारामती को देने का निर्णय किया है, जबकि बारामती बांध के अधिसूचित कमांड क्षेत्र के बाहर स्थित है। उन्होने बताया कि नीरा देवघर और गुंजवणी बांध से 55 फीसदी पानी बाईं तट नहर से बारामती को देने से सूखाग्रस्त फलटण, मालशिरस, पंढरपुर, संगोला, सोलापुर व सतारा की लाखों जनता के साथ अन्याय हो रहा है। बांध का पानी बारामती के गन्ना किसानों को भेजे जाने से सोलापुर और सतारा जिलों में पर्याप्त पेयजल नहीं मिल पा रहा है।
2020 की जनगणना में ओबीसी का कॉलम जोड़ा जाए
यवतमाल-वाशिम से शिवसेना सांसद भावना गवली ने बुधवार को लोकसभा में 2020-21 की जनगणना में ओबीसी का कॉलम नहीं होने की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि ओबीसी का कॉलम नहीं होने के कारण समाज की जनता और नेता आंदोलन कर रहे है। सांसद गवली ने मंडल आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ओबीसी की 1931 में जनगणना हुई थी। उसके आधार पर ओबीसी वर्ग की जनसंख्या 52 प्रतिशत है। 1931 के बाद अब तक ओबीसी की स्वतंत्र जनगणना नहीं हुई है। इसलिए 2020 की जनगणना में ओबीसी का कॉलम जोड़ा जाए ताकि जाति आधारित गिनती हो सके तथा ओबीसी में आने वाले एनटी, डीएनटी समुदाय के लोगों को भी न्याय मिले। इसके अलावा गवली ने मराठा आरक्षण के मुद्दे को भी उपस्थित किया। उन्होंने मराठा क्रांति मोर्चा की मांग का जिक्र करते हुए कहा कि मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने के लिए केन्द्र सरकार पहल करें। उन्होंने कहा कि आरक्षण अगर 50 फीसदी के उपर भी जाता है तो भी उसके आगे जाकर आरक्षण के बारे में सोचना चाहिए।
सांसद छत्रपति संभाजी करें मराठा आरक्षण लड़ाई का नेतृत्व
मराठा आरक्षण पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मराठा समाज के विभिन्न संगठन एक बार फिर आक्रामक हो उठे है और इस बहाने अपनी नेतागिरी भी चमकाने में जुट गए है। इस बीच शिवसेना के लोकसभा सदस्य राहुल शेवाले ने भाजपा के राज्यसभा सदस्य छत्रपति संभाजी राजे को एक लिखित निवेदन देकर उनसे मराठा आरक्षण की लडाई का नेतृत्व करने की गुजारिश की। दोनों सांसदों के बीच दिल्ली में बैठक हुई। इस दौरान शेवाले ने छत्रपित संभाजी से यह भी मांग की कि मराठा आरक्षण मामले में राज्य सरकार के प्रयासों को सफलता मिले इसके लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में इस मसले पर महाराष्ट्र के सभी सांसदों की बैठक बुलाए। आरक्षण पर रोक लगने से समाज की भावनाए आहत हुई है। इसलिए इस मसले पर वे प्रदेश के सभी सांसदों को एकजुटता से प्रयास करने की अपील करें
Created On :   16 Sept 2020 9:54 PM IST