सुप्रीम कोर्ट जाएंगे पवार  : बंद नोट बदलने को तैयार नहीं सरकार, जिला सहकारी बैंकों के 112 करोड़ अटके

Pawar will go to SC in old note case, 112 crores blocked of banks
सुप्रीम कोर्ट जाएंगे पवार  : बंद नोट बदलने को तैयार नहीं सरकार, जिला सहकारी बैंकों के 112 करोड़ अटके
सुप्रीम कोर्ट जाएंगे पवार  : बंद नोट बदलने को तैयार नहीं सरकार, जिला सहकारी बैंकों के 112 करोड़ अटके
हाईलाइट
  • शरद पवार कि राष्ट्रीयकृत बैंकों में पुराने नोटों को बदला गया लेकिन जिला बैंकों के पुराने नोट क्यों नहीं बदले गए
  • राकांपा अध्यक्ष ने किसानों के लिए मांगा आरक्षण

डिजिटल डेस्क, मुंबई। नोटबंदी के बाद जिला बैंकों के हजार और पांच सौ के पुराने नोट बदले नहीं जा सके हैं। अब सरकार जिला बैंकों में जमा करोड़ों के पुराने नोट बदलने को तैयार नहीं है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार ने एलान किया है कि इस मसले को वे सुप्रीम कोर्ट ले जाएंगे और देश के पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम बतौर वकील सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ेंगे।मंगलवार को विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे के सरकारी आवास पर आयोजित संवाददात सम्मेलन में पवार में कहा कि केंद्र सरकार ने अब जिला सहकारी बैंकों को पत्र भेजकर कहा है कि बंद हो चुके पुराने नोटों को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस रकम को बैंक की बैंलेससीट में घाटे में दर्ज किया जाए। उन्होंने कहा कि इससे पुणे, सांगली, कोल्हापुर, नाशिकस वर्धा, यवतमाल, अहमदनगर, अमरावती जिला बैंकों में जमा 112 करोड़ रुपए डूब जाएंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों में पुराने नोटों को बदला गया लेकिन जिला बैंकों के पुराने नोट क्यों नहीं बदले गए। पवार ने कहा कि जिला बैंकों में पैसे जमा करने वाले कोई नीरव मोदी नहीं बल्कि सामान्य लोग हैं। राकांपा सुप्रीमों ने कहा कि जिला बैंकों के अध्यक्षों के साथ मैं केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली से मुलाकात करूंगा। यदि वहां से जिला बैंकों के पक्ष में कोई फैसला नहीं हो सका तो मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में श्री चिदंबरम हमारे वकील होंगे।      

राकांपा अध्यक्ष ने किसानों के लिए मांगा आरक्षण 

अपने चर्चित साक्षात्कार में आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने की वकालत के बाद राकांपा अध्यक्ष द शरद पवार ने अब किसानों के लिए भी आरक्षण की मांग की है। उनका कहना है कि सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक आधार पर पिछड़े किसानों को भी एसटी, एससी और ओबीसी की तर्ज पर आरक्षण दिया जाए। पवार ने खासतौर पर बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 1992 में देश में जब मंडल आयोग को लेकर अफरातफरी मची थी उस दौर में आयोग की सिफारिशों को लागू करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य था। पवार ने कहा कि महिलाओं को आरक्षण देने का निर्णय उनके ही शासन में लिया गया। एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को मिले आरक्षण को प्रभावित किए बिना दूसरे अन्य वर्ग को आर्थिक पैमाने आरक्षण देना चाहिए। राज्य में जब आघाडी सरकार थी तब मराठा और मुस्लिम वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया गया था, लेकिन न्यायालय में वह नहीं टिका। राजस्थान में जाट समुदाय को आरक्षण दिया गया है। दूसरे राज्यों में खेती से संबंध रखने वालों को आरक्षण दिया गया है। महाराष्ट्र में 82 फीसदी किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम जमीनें हैं। इससे किसान सामाजिक, आर्थिक और शिक्षा के  क्षेत्र में पीछे चला गया है। इस लिए उसे आरक्षण का लाभा मिलना ही चाहिए।

शिवसेना पर साधा निशाना 

पवार ने कहा कि पुणे में मेरे इंटरव्यू के बाद शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने बयान दिया कि आर्थिक बुनियादी पर आरक्षण देने की मांग जो पवार आज कर रहे हैं वह शिवसेना अध्यक्ष बालासाहेब ठाकरे ने 50 साल पहले ही कहा था। पवार ने कहा कि राज्य में 1995 में शिवसेना की सत्ता थी तो क्यों नहीं आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू किया। आज भी राज्य में शिवसेना की सत्ता है। 

Created On :   27 Feb 2018 3:59 PM GMT

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