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सिकलसेल बीमारी से प्रभावित लोगों को स्थायी विकलांगता के रूप में वर्गीकृत किया जाए
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सिकलसेल बीमारी से प्रभावित लोगों को स्थायी विकलांगता के रूप में वर्गीकृत कराने का मुद्दा सांसद रक्षा खडसे ने सोमवार को लोकसभा में उठाया। नियम 377 के तहत इस मुद्दे को उठाते हुए उन्होंने केन्द्र सरकार का ध्यान इस मुद्दे की ओर आकर्षित किया कि ऐसा करने से सिकलसेल एनीमिया अनुवांशिक बीमारी से पीड़ित लोगों को बार-बार डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट रिन्यू कराने से राहत मिलेगी और परमानेंट डिसेबिलिटी की सुविधाओं का लाभ भी मिल सकेगा।
सांसद खडसे ने सदन में कहा कि सिकलसेल सबसे ज्यादा पाया जाने वाला रक्त अनुवांशिक रोग है। समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करके ही इस रोग का निराकरण किया जा सकता है। कैंसर, मधुमेह, एड्स आदि के लिए भी कोई निश्चित उपचार नहीं है, पर इन बीमारियों को लेकर जन जागरण किया जाता है और इनकी रोकथाम और लक्षणों के उपचार की व्यवस्था की जाती है। वहीं सिकलसेल के साथ यह न्याय नहीं किया गया है।
सांसद खडसे ने कहा कि अनुसूचित जनजातियों में पाए जाने वाली इस बीमारी से प्रभावित लोगों को डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट जारी करने की व्यवस्था है, जिसे हर 1-2 साल में रिन्यू कराना पड़ता है। लिहाजा पीडितों को इससे राहत देने के लिए इन्हं स्थायी विकलांगता के रूप में वर्गीकृत किया जाए साथ ही इसकी रोकथाम और लक्षणों के उपचार की भी व्यवस्था कराई जाए।
Created On :   28 March 2022 9:38 PM IST