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महाराष्ट्र के 194 गांवों के लोगों को नहीं मिल रहा पीने का साफ पानी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में शत प्रतिशत शुद्ध पेयजल आपूर्ति कराने की अपनी प्रतिबद्धता को गत चार सालों में कई बार दोहराया है, लेकिन सरकार के इस दिशा में प्रयास अब भी नाकाफी दिखाई दे रहे हैं। महाराष्ट्र की बात करें तो सूखा प्रभावित विदर्भ और मराठवाडा के 17 जिलों के 194 गांवों के लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं।
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय का दावा है कि कुल 53 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप लाइन से पानी की आपूर्ति हो रही है। एक अध्ययन के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 15 फीसद घरों में ही नलों से पेयजल आपूर्ति हो रही है। दरअसल, भाजपा सांसद पूनम महाजन ने लोकसभा में महाराष्ट्र में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के क्रियान्वयन की स्थिति के बारे में सवाल पूछा था।
इसके लिखित जवाब में केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता राज्यमंत्री रमेश चंदप्पा जिगाजिनागी ने राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के हवाले से बताया कि प्रदेश में 194 ऐसे गांव है जहां के लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। इनमें चार जिलों के सबसे अधिक चंद्रपुर (39), बुलढाना (39), वर्धा (36) और नागपुर जिले के 17 गांवों में दूषित पेयजल की समस्या है।
उन्होंने कहा कि पेयजल आपूर्ति राज्य सरकार का विषय है। इसलिए यह उनकी जिम्मेदारी है कि वह स्कीमों की योजना बनाने और इसका क्रियान्वयन करते समय सूखाग्रस्त क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उफलब्ध कराने के आवश्यक उपाय करने चाहिए। इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा समय-समय पर वित्तिय सहायता उपलब्ध कराई गई है। उल्लेखनीय है कि गत पांच सालों में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल पेयजल योजना के तहत राज्य को लगभग 2500 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
Created On :   21 Dec 2018 7:50 PM IST