2015 में आयात पर लग गई थी रोक, तब से लैब में रखा है

Petition in High Court to bring embryo from Florida to India
2015 में आयात पर लग गई थी रोक, तब से लैब में रखा है
फ्लोरिडा से भ्रूण भारत लाने हाईकोर्ट में याचिका 2015 में आयात पर लग गई थी रोक, तब से लैब में रखा है

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने यूनाइटेड स्टेट अमेरिका के तहत आनेवाले फ्लोरिडा से भ्रूण लाने की अनुमति दिए जाने की मांग को लेकर एक दंपति  की ओर से  दायर याचिका पर केंद्र सरकार, राज्य सरकार व इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) सहित अन्य  को नोटिस जारी किया है। संतानविहीन 40  वर्षीय दंपति ने याचिका में दावा किया है कि जिस भ्रूण को वे लाना चाहते हैं, वह फ्लोरिडा लैब में साल 2016 से रखा है। साल 2014 में तकनीक का सहारा लेकर भ्रूण को तैयार करने की प्रक्रिया की शुरुआत की गई थी। उस वक्त भारत में सरोगेसी के लिए भ्रूण के आयात की छूट थी। किंतु अक्टूबर 2015 में नियमों में बदलाव कर इंसानी भ्रूण के आयात पर पर रोक लगा दी गई। 

याचिका के मुताबिक अब सिर्फ शोध के लिए भ्रूण के आयात की इजाजत है। साल 2018 में भारत आए दंपति ने याचिका में मुख्य रुप से केंद्र सरकार की ओर से साल 2015 की अधिसूचना को चुनौती दी गई है। याचिका में  दंपति ने कहा है कि उन्हें अपना भ्रूण लाने की इजाजत न दिया जाना असंवैधानिक, मनमानीपूर्ण व अतार्किक है। यह उन्हें संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले अधिकारों का उल्लंघन है। इसलिए सरकार की अधिसूचना को रद्द कर उन्हें भ्रूण को लाने की अनुमति दी जाए। ताकि वे सरोगेसी से जुड़ी प्रक्रिया को आगे बढा सके। क्योंकि अब तक ऐसा कोई कानून नहीं बनाया गया है जो सरोगेसी के लिए भ्रूण के आयात पर रोक लगाता हो। याचिका के  अनुसार कार्यपालिका से जुड़े अधिकारी अपने स्तर पर इस तरह भ्रूण के निर्यात पर रोक नहीं लगा सकते। याचिका के मुताबिक इस विषय पर विदेश-व्यापार-वाणिज्य व उद्योग विभाग के महानिदेशक ने अधिसूचना जारी किया है।

दंपति की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता नीतिन प्रधान ने न्यायमूर्ति उज्जल भूयान व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ के सामने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते  हुए कहा कि जिन मामलों में भ्रूण को तैयार करने की प्रक्रिया 2015 से पहले शुरु हो गई थी ऐसे मामलों में भ्रूण को भारत लाने की इजाजत होगी। पर इस संबंध में केंद्र सरकार और इंडियन सेंटर  फॉर मेडिकल रिसर्च ने कोई  दिशा-निर्देश जारी  नहीं किए हैं। जबकि मेरे  मुवक्किल ने इस बारे में संबंधित प्राधिकरणों को 2018 में अपना निवेदन सौपा था। इन दलीलों को सुनने व याचिका पर गौर  करने के बाद खंडपीठ ने केंद्र सरकार व अन्य को नोटिस जारी किया और याचिका पर सुनवाई 13 सितंबर 2021 तक के लिए स्थगित कर दी। 

 

Created On :   31 Aug 2021 9:22 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story