स्टिंग ऑपरेशन मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका 

Petition seeking CBI probe into sting operation case
स्टिंग ऑपरेशन मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका 
हाईकोर्ट स्टिंग ऑपरेशन मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विशेष सरकारी वकील प्रवीण चव्हाण पर किए गए स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर तैयार किए गए वीडियो मामले व जलगांव के एक शिक्षण ट्रस्ट से जुड़े मामले की जांच सीबीआई को सौपी जाए। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी विधायक गिरीश महाजन ने अपने वकील के जरिए इस मामले की जांच सीबीआई को सौपने का आग्रह किया। पिछले दिनों विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने सदन में चव्हाण से जुड़े वीडियों का खुलासा किया था। अब इसको लेकर महाजन ने मांग की है कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौपी जाए। क्योंकि राजनीतिक रंजिश के चलते उन्हें गलत मामले में फंसाया जा सकता है।  

दरअसल हाईकोर्ट में महाजन व अन्य आरोपियों के खिलाफ जलगांव जिला मराठा शिक्षण प्रसारक समाज ट्रस्ट के ट्रस्टी से जनवरी 2018 में हुए विवाद को लेकर दर्ज मामले को रद्द करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। इसी याचिका के साथ एक आवेदन कर महाजन ने सरकारी वकील चव्हाण से जुड़े मामले व इस प्रकरण को सीबीआई को सौपने की मांग की है। । जलगांव से जुड़े मामले को लेकर महाजन व उनके निजी सचिव रामेश्वर नाईक के खिलाफ जलगांव के निभोरा पुलिस स्टेशन में दिसंबर 2020 को एफआईआर दर्ज कराई गई थी। जिसे बाद में पुणे के कोथरुड पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया गया है। यह शिकायत पेशे से वकील व ट्रस्ट के ट्रस्टी विजय पाटील ने दर्ज कराई है। जिसे रद्द किए जाने की मांग को लेकर महाजन व नाईक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। महाजन चाहते हैं कि इस मामले को भी सीबीआई को सौपा जाए। 

मंगलवार को न्यायमूर्ति प्रशांत वैराले व न्यायमूर्ति एसएम मोडक की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान दोनों मामले सीबीआई को सौपने का आग्रह किया गया। इस पर खंडपीठ ने कहा कि हम इस मामले व नए आवेदन पर 25 अप्रैल को सुनवाई करेंगे। तब तक जलगांव से जुड़े प्रकरण में आरोपियों को मिली अंतरिम राहत कायम रहेगी। इस दौरान खंडपीठ ने राज्य सरकार से जलगांव से जुड़े मामले की पैरवी के लिए सरकारी वकील की नियुक्ति को लेकर भी सवाल किया। पहले सरकारी वकील चव्हाण इस मामले को देख रहे थे। हाईकोर्ट ने दिसंबर 2020 में पुणे पुलिस को इस मामले में यचिकाकर्ता (महाजन व नाईक) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न करने का निर्देश दिया था । जिसे खंडपीठ ने अगली सुनवाई तक जारी रखा है। 

 

Created On :   12 April 2022 9:40 PM IST

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