अंधविश्वास की बानगी, निमोनिया और पेट फूलने पर गर्म सलाखों से दागते हैं मासूम बच्चों को

डिजिटल डेस्क,शहडोल। निमोनिया अथवा पेट फूलने जैसी बीमारियों का चिकित्सकीय इलाज कराने की बजाय गर्म सलाखों से दागने जैसी कुप्रथा जिले में भी अब भी हावी है। बच्चों को दागने के पांच मामले रविवार को सामने आए। जिनमें बच्चों को लोहे की गर्म सलाखों से दागा गया। एक मामला कोदवार कला का है। जहां नत्थूलाल कोल के 20 दिन के बेटे साहिल को पेट में दागा गया है। चार मामले सामतपुर कठौतिया के हैं। इनमें एक मामला पुराना है। इस बीच दो बच्चों को दागने के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। ग्राम कठौतिया एवं सामतपुर में दो बच्चों की मौत मामले में सिंहपुर थाने में अपराध दर्ज किया गया है।
पुलिस के अनुसार रुचिता कोल निवासी कठौतिया को जन्म होने के 15 दिन बाद निमोनिया होने पर रमवतिया चर्मकार से निर्दयतापूर्वक पेट को दागा गया था। हालत बिगडऩे पर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां 1 फरवरी को उसकी मौत हो गई। इसी प्रकार सामतपुर निवासी 3 माह की शुभी कोल पिता सूरज कोल तथा मां सोनू कोल को अज्ञात दाई ने दागा था। जिसकी उपचार के दौरान मौत हो गई थी। सिंहपुर पुलिस ने रमवतिया चर्मकार व अज्ञात दाई के विरुद्ध ड्रग एण्ड मैजिक रेमडीज अबजेक्शनल एडवरटाईज एक्ट 1954 की धारा 7 एवं 324 ताहि का अपराध कायम कर विवेचना में लिया है। वहीं सीएमएचओ डॉ. आरएस पांडेय द्वारा सिंहपुर बीएमओ डॉ. पासवान को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए इलाके की तीन आशा कार्यकर्ताओं की सेवा समाप्त करते हुए विभाग के 11 कर्मचारियों को हटाते हुए ट्रांसफर आदेश जारी किया है।
एक दर्द से ध्यान हटाने देते हैं दूसरा दर्द
जानकार बताते हैं कि आदिवासी समाज में ऐसी परंपरा हावी है कि एक दर्द दूर करने के लिए नया दर्द दे दिया जाए। यही कारण है कि यदि बच्चा बीमार होता है या पेट फूलने जैसी समस्या आती है तो उसके पेट में दागा जाता है। हालांकि यह संक्रमण की वजह बनकर मौत के आगोश तक ले जाती है। इधर, दगना की जानकारी होने के बाद गांव पहुंचे सिंहपुर बीएमओ डॉ. वायएस पासवान के अनुसार सभी बच्चों की हालत ठीक है।
Created On :   6 Feb 2023 3:49 PM IST