- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- पुणे
- /
- मंचर के पास 21 घंटे तक चला आंदोलन
Pune News: मंचर के पास 21 घंटे तक चला आंदोलन

- पुणे-नाशिक राजमार्ग पर यातायात ठप होने से यात्रियों और वाहन चालकों को हुई भारी परेशानी
- प्रशासनिक अधिकारियों की रही भाग-दौड़
भास्कर न्यूज, मंचर। पुणे-नाशिक राजमार्ग पर मंचर के पास गायमुखनंदी चौक पर तेंदुओं के बंदोबस्त के लिए ग्रामीणों और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं तथा कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन किया। यह धरना आंदोलन पूरे 21 घंटे तक चला। प्रशासन की संयमित भूमिका के कारण 21 घंटे के इस लंबे आंदोलन के दौरान कोई तनाव की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। यातायात ठप होने के कारण यात्रियों और वाहन चालकों में गहरा रोष था।
प्रशासनिक अधिकारी पूरी रात आंदोलन स्थल पर मौजूद रहे और प्रदर्शनकारियों से बातचीत के प्रयास करते रहे। कुछ समय के लिए प्रदर्शनकारियों और अधिकारियों के बीच कहा-सुनी भी हुई, लेकिन अधिकारियों ने संयम बनाए रखा, जिससे स्थिति बिगड़ने से बच गई।
यातायात हुआ प्रभावित
आंदोलन के कारण लगभग पूरे दिन यातायात व्यवस्था अस्त-व्यस्त रही, हालांकि प्रशासन ने वैकल्पिक मार्गों से सड़कों को सुचारू रखने का प्रयास किया। महामार्ग पर यातायात बाधित होने से वाहनों की लंबी-लंबी कतारें लग गईं। कई यात्री अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाए, और कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और यात्रियों के बीच छोटी-मोटी झड़पें भी हुईं।
प्रशासनिक अधिकारियों की रही भाग-दौड़
इस पूरी घटना के कारण पुलिस, राजस्व और वन विभाग के अधिकारियों की भारी भाग-दौड़ रही। प्रशासन ने गुस्साए लोगों को शांत रखने के लिए रात भर कड़ी मेहनत की। प्रांत अधिकारी गोविंद शिंदे, तहसीलदार संजय नागतिलक, नायब तहसीलदार डॉ. सचिन वाघ, उपविभागीय पुलिस अधिकारी अमोल मांडवे, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक श्रीकांत कंकाल, सहायक पुलिस निरीक्षक प्रशांत ढोले, धनंजय पाटिल समेत कई अधिकारी घटना स्थल पर उपस्थित थे। लगभग 20 अधिकारी और डेढ़ सौ से अधिक पुलिसकर्मी सुरक्षा व्यवस्था में तैनात थे।
सकारात्मक चर्चा के बाद आंदोलन समाप्त
पूरी रात और अगले दिन सुबह तक पुणे-नाशिक महामार्ग गायमुख चौक के पास बंद रहा। प्रशासन ने वैकल्पिक मार्गों से यातायात को सामान्य करने का प्रयास किया। आखिरकार, सुबह हुई सकारात्मक चर्चा के बाद प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन वापस लेने का निर्णय लिया। प्रशासन की संयमित भूमिका से कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, लेकिन इस घटना ने वन विभाग की निष्क्रियता के खिलाफ ग्रामीणों का आक्रोश सामने आया।
Created On :   5 Nov 2025 6:58 PM IST












