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300 रुपए की रिश्वत लेने वाले पुलिस कांस्टेबल को 11 साल बाद मिली राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। तीन सौ रुपए की रिश्वत लेने के आरोपी एक कांस्टेबल को करीब 11 साल बाद राहत मिली है। बांबे हाईकोर्ट ने आरोपी पुलिस कांस्टेबल उत्तम अजगेकर को यह राहत दी है। मुंबई सीआईडी में कार्यरत अजगेकर को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने साल 2009 में चरित्र रिपोर्ट देने के एवज में घूस लेने के लिए पकड़ा था। निचली अदालत ने आरोपी को इस मामले में एक साल के कारावास व एक हजार रुपए की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
न्यायमूर्ति एसके शिंदे के सामने अपील पर सुनवाई हुई। इस दौरान न्यायमूर्ति ने पाया कि आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सक्षम प्राधिकरण से मंजूरी नहीं ली गई थी। जिस अधिकारी ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी दी थी, उसके पास यह मंजूरी देने का अधिकार नहीं था। इसिलए आरोपी को सुनाई गई सजा को रद्द किया जाता है। इस तरह से साल 2009 से कानूनी कार्यवाही का सामना कर रहे आरोपी को साल 2021 में राहत मिली है।
आरोपी की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने दावा किया मेरे मुवक्किल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने का अधिकार पुलिस आयुक्त के पास था। क्योंकि उनके पास पुलिस कांस्टेबल की नियुक्ति का अधिकार होता है। लेकिन मेरे मुवक्किल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने दी थी। चूंकि अतिरिक्त पुलिस आयुक्त की निगरानी में इस मामले की जांच हुई थी। इसलिए उनके द्वारा दी गई मंजूरी निष्पक्ष नहीं हो सकती है।
वैध मंजूरी के बिना साल 2010 में मेरे मुवक्किल के खिलाफ मुकदमा चलाया गया है। इसलिए इस मामले में दिया गया फैसला खामीपूर्ण है। सरकारी वकील ने आरोपी की अपील का विरोध किया। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी सहीं नहीं है। इसलिए निचली अदालत के आदेश को रद्द किया जाता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।