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चोरी गए गहने वापस करने महिलाओं को खोज रही पुलिस
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महानगर के पश्चिमी उपनगर जोगेश्वरी इलाके में रहने वाली मुख्याध्यापिका राजश्री सालगे, बैगलोर में रहने वाली 65 वर्षीय सरस्वती अय्यर, ठाणे में रहने वाली प्रिया तुपे ये सभी उन नामों की सूची में शामिल हैं जिन्हें पिछले कुछ दिनों में 15 से 20 साल पहले चोरी हुए अपने गहने वापस मिले हैं। दरअसल सालों पहले बरामद हो चुके ये गहने जीआरपी के पास पड़े थे और कोर्ट कचहरी के नियमों में फंसे थे। लेकिन मुंबई जीआरपी कमिश्नर रविंद्र सेनगांवकर ने इसके लिए रास्ता निकाला और खुद रेलवे पुलिस ने पहल की और बाद में पीड़ितों का पता खोजकर उनका सामान लौटाया गया। दरअसल चोरी हुआ सामान वापस पाने के लिए पीड़ित को आदालत में जाकर अपनी पहचान साबित कर सामान वापस पाने का आदेश हासिल करना होता है। आदेश की प्रति पुलिस को मिलने के बाद पीड़ित को सामान वापस कर दिया जाता है। लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो सामान, नकदी और गहने चोरी हो जाने के बाद पुलिस में शिकायत तो करते हैं लेकिन बाद में उसे वापस पाने की उम्मीद छोड़ देते हैं और पुलिस से संपर्क तक नहीं करते। चोरी हुई समान बरामद होने पर पुलिस इसकी सूचना पीड़ित को देती है लेकिन कई बार फोन नंबर, पता गलत होने के चलते उनसे सम्पर्क नहीं हो पाता। इसलिए जीआरपी के पास भारी मात्रा में बरामद किए गए गहने, नकदी और कीमती सामान पड़े रह जाते हैं।
सालभर में जीआरपी ने लौटाए 300 लोगों के नकदी-गहने
इसलिए सेनगांवकर ने जीआरपी अधिकारियों को कानून के उस प्रावधान का इस्तेमाल करने को कहा जिसके तहत पुलिसकर्मी अदालत जाकर लोगों को उनका सामान वापस लौटाने का आदेश लाते हैं। इसके बाद यह पहल शुरू हुई और सालों से जीआरपी के ऑफिस में धूल खा रहे लोगों के कीमती सामान उन तक पहुंचने लगे। जीआरपी अधिकारियों ने पीड़ितों से अपनी ओर से संपर्क के लिए भी खास पहल करनी शुरू कर दी। पुलिस इंस्पेक्टर विजय यादव ने बताया कि इस साल अब तक 300 लोगों को उनके चोरी हुए गहने और नकदी लौटाई जा चुकी है। इसके अलावा मोबाइल और लैपटॉप जैसे सामान भी बड़ी संख्या में लोगों को लाटाई गई है।
पुलिस का फोन आया तो डर गई
एक स्कूल की मुख्य अध्यापिका जयश्री सालगे को साल 2004 में ट्रेन में सफर के दौरान चोरी हुई अपनी कान की बाली मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। लेकिन इसके पहले19 अगस्त को उनके स्कूल से उन्हें फोन कर बताया गया कि उनकी तलाश में कुछ रेलवे पुलिस के जवान आए थे और उन्हें अंधेरी रेलवे पुलिस स्टेशन बुलाया गया है तो वे घबरा गई। उन्हें अपनी बाली चोरी होने की बात भूल गई थी। पुलिस वालों ने उन्हें फोन किया तब भी उनकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वे वहां जाएं लेकिन जब वे पुलिस स्टेशन पहुंची तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। क्योंकि 16 साल बाद उन्हें उनकी कान की बाली वापस मिल गई थी। इसके बाद पुलिस को लेकर उनके मन में बैठी छवि पूरी तरह बदल गई है। बैंगलुरू में रहने वाली 65 साल की सरस्वती अय्यर को भी 20 साल बाद अंधेरी रेलवे पुलिस ने उनकी 19 ग्राम सोने की चेन, 10 ग्राम की कान की बाली, 14 ग्राम के सोनेे के ब्रेसलेट वापस की। ठाणे में रहने वाली प्रिया तुपे को भी 20 साल बाद रेल सफर के दौरान चोरी हुई उनकी चेन वापस मिली है।
Created On :   25 Aug 2020 9:53 PM IST