पॉलिटिकल ड्रामा: रामटेक में कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन भरवाने के बाद राऊत पहुंचे फार्म भरने 

Political drama : After filling nomination of Congress candidate, Raut claimed this
पॉलिटिकल ड्रामा: रामटेक में कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन भरवाने के बाद राऊत पहुंचे फार्म भरने 
पॉलिटिकल ड्रामा: रामटेक में कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन भरवाने के बाद राऊत पहुंचे फार्म भरने 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। रामटेक लोकसभा क्षेत्र के लिए कांग्रेस उम्मीदवार के नामांकन को लेकर सोमवार को रोचक पॉलिटिकल ड्रामा देखा गया। किशाेर गजभिये का नामांकन फार्म जमा कराने के बाद नितीन राऊत ने स्वयं को टिकट मिलने का दावा किया। वे चुनाव अधिकारी तक पहुंचे भी। लेकिन फार्म भरे बिना लौट आए। करीब 1 घंटे तक चले इस घटनाक्रम से शहर की नहीं राज्य की राजनीति में हलचल रही। नितीन राऊत कांग्रेस अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष भी हैं। अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित रामटेक क्षेत्र के लिए कांग्रेस ने रविवार को पूर्व प्रशासनिक अधिकारी किशोर गजभिये का नाम घोषित किया। सोमवार को दाेपहर 12 बजे गजभिये नामांकन दाखिल कराने पहुंचे। उनके साथ ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष राजेंद्र मुलक व अन्य नेताओं के साथ नितीन राऊत भी थे। नामांकन फार्म भरकर लौटते समय राऊत ने अचानक पार्टी की टिकट मिलने का दावा किया। राऊत का कहना था कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने उनकी टिकट फायनल की है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी के.सी वेणुगोपाल ने इस संबंध में फोन पर चर्चा कर तुरंत नामांकन फार्म भरने को कहा है। लिहाजा नामांकन फार्म जमा कराने की अवधि समाप्त होने के 1 घंटे पहले राऊत समर्थक एकजुट हुए। जिलाधिकारी कार्यालय परिसर से ही फोन पर नेताओं से चर्चा होती रही। विधायक सुनील केदार, पूर्व मंत्री अनीस अहमद, राजेंद्र मुलक व अन्य नेताओं के साथ राऊत अपना नामांकन दाखिल कराने चुनाव अधिकारी के पास पहुंचे। उनके लिए अनुमोदक चंदू वासु व आशीष मंडपे भी मौजूद थे। कुछ समय में ही राऊत फार्म भरे बिना वापस लौट आए। उनका कहना था कि पार्टी की ओर से एबी फार्म नहीं मिल पाने के कारण वे नामांकन नहीं भर पाए हैं। यह भी कहा कि इस मामले को लेकर किसी से शिकायत नहीं है। 

राऊत ने यह कहा

नितीन राऊत के मुताबिक किशोर गजभिये को उम्मीदवार बनाए जाने पर मेरा कोई विरोध नहीं है। उनके साथ उनका नामांकन दाखिल कराने के लिए पहुंचा था। लौटते समय जब पार्टी नेता वेणुगोपाल को फोन आया तब मेरा मोबाइल मेरी गाड़ी में था। कार्यकर्ता ने मोबाइल लाकर दिया। फाेन पर वेणुगोपाल ने कहा-कहां हो। मैंने बताया जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में हूं। कांग्रेस उम्मीदवार का फार्म भरवाकर लौट रहा हूं। तब वेणुगोपाल ने कहा कि आप लड़ने काे तैयार हो तो तुरंत फार्म भर दो। एबी फार्म की व्यवस्था की दी जाएगी। इस संबंध में प्रदेश प्रभारी मलिकार्जुन खडगे से भी फोन पर चर्चा हुई। एबी फार्म के लिए प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारी से भी चर्चा हुई। विधायक सुनील केदार ने प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण से फोन पर बात की। समय पर एबी फार्म नहीं मिल पाने के कारण नामांकन दर्ज नहीं कराया। 

उम्मीदवारों के नाम बदलते रहते हैं, रामटेक के मामले पर कोई कन्फ्यूजन नहीं

उधर कांग्रेस के प्रदेश सह प्रभारी आशीष दुआ ने कहा है कि नामांकन की आखिरी तारीख तक उम्मीदवार बदलते रहते हैं। कांग्रेस ही नहीं अन्य दलों ने भी उम्मीदवार बदले है। रामटेक को लेकर कुछ कन्फ्यूजन अवश्य देखा गया है। लेकिन कांग्रेस में किसी तरह का कन्फ्यूजन नहीं है। किशोर गजभिये को ही पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। सोमवार को दैनिक भास्कर कार्यालय में चर्चा में श्री दुआ ने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी में किसी तरह की गुटबाजी नहीं है। भाजपा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में माहौल बना है। कांग्रेस में चुनाव लड़ने के िलए सक्षम दावेदारों की संख्या बढ़ी है। इसलिए कुछ सीटों पर नाम तय करने के लिए काफी विमर्श करना पड़ा है। उम्मीदवारों का चयन काफी साेच विचार करके किया गया है। जीतने की संभावना को प्राथमिकता दी गई है। शक्ति एप के माध्यम से 6 माह पहले से ही संभावित उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा की जा रही थी। नागरिकों व विविध क्षेत्रों के जानकारों से सुझाव लिए जा रहे थे। मेरिट के आधार पर उम्मीदवार तय किए गए। 2014 की तुलना में इस बार विदर्भ में कांग्रेस की काफी अच्छी स्थिति है। भाजपा शिवसेना गठबंधन से सीधा मुकाबला होनेवाला है। सत्ता में आने के लिए भाजपा ने जो आश्वासन दिए थे, मुद्दे उठाए थे उन्हीं विषयों पर जवाबी मुद्दा उठाया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्र में सरकार के विरोध का सबसे अधिक लाभ कांग्रेस को मिलेगा। भाजपा के विरोध में मतों के विभाजन का प्रयास होनेवाला है। जनता को इससे सजग रहना होगा। वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर कहते रहे हैं कि कांग्रेस ने उससे बात नहीं की, लेकिन वास्तविकता यह है कि आंबेडकर ने कांग्रेस के प्रस्ताव का कोई जवाब ही नहीं दिया। कांग्रेस के नेताओं ने आंबेडकर से अलग अलग बात की थी। मोदी विरोध का दावा करनेवाली बसपा ने भी राज्य में कांग्रेस के साथ बात नहीं की। विकास के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। फूल टाइम प्रचारकों की पार्ट टाइम सरकार चलती रही है। सीमा सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा व आर्थिक सुधार के मामले में केंद्र सरकार के दावों की वास्तविकता भी उजागर हो गई है।

Created On :   25 March 2019 4:50 PM GMT

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