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मरीज को बगैर जांचे दवा लिखना अपराध, HC ने खारिज की डाक्टर दंपति की जमानत अर्जी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि डॉक्टर द्व्रारा बगैर मरीज की जांच-पड़ताल के दवा लिखना आपराधिक लापरवाही के दायरे में आता है। अदालत ने एक डॉक्टर दंपत्ति की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है। दोनों एक महिला मरीज की मौत के मामले में आरोपी है।
रत्नागिरी के डॉ. संजीव पावसकर व डॉ. दीपा पावसकर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (सदोष मानव वध) के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए डॉक्टर दंपत्ति ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दायर की थी। जिसे जस्टिस साधना जाधव ने सुनवाई के बाद रद्द कर दिया। अभियोजन पक्ष के मुताबिक महिला रत्नागिरी स्थित डॉक्टर दंपति के अस्पताल में भर्ती हुई थी। जहां महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया था। महिला का प्रसव आपरेशन से हुआ था। दो दिन बाद महिला को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। घर जाने के दूसरे दिन महिला बीमार पड़ गई। इसके बाद महिला के घरवालों ने डॉक्टर दीपा को फोन किया।
डॉक्टर दीपा ने महिला के घरवालों को कहा कि वे मेडिकल स्टोर पर जाकर वहां के केमिस्ट से उसकी बात कराए। डॉक्टर से हुई बातचीत के आधार पर केमिस्ट ने महिला के घरवालों को दवा दे दी। दवा खाने के बाद भी महिला की हालत में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद बीमार महिला को उसी अस्पताल में लाया गया, जहां उसने बच्ची को जन्म दिया था। महिला को जब अस्पताल में लाया गया डॉक्टर दंपति अस्पताल में मौजूद नही था। इसके बावजूद महिला को अस्ताल में भर्ती कर लिया गया। इसके बाद डॉक्टर दंपति ने घरवालों को फोन पर आश्वस्त किया कि अगले दिन महिला को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। लेकिन दूसरे दिन महिला की हालत काफी बिगड़ गई। इसके बाद उसे दूसरे अस्पताल भेजा गया, जहां उसकी मौत हो गई।
जहां महिला की मौत हुई उस अस्पताल के डॉक्टरों ने महिला के घरवालों को बताया कि डॉक्टर पावसकर की लापरवाही के चलते मौत हुई है। इसके बाद महिला के घरवालों ने रत्नागिरी पुलिस स्टेशन में डॉक्टर दंपति के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी। इस मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद जस्टिस ने कहा कि मरीज को दूसरे डॉक्टर के पास भेजने की बजाय डॉक्टर दीपा फोन पर दवा लिखवाती रही। डॉक्टर दंपति जानता था कि वह अस्पताल में उपलब्ध नहीं रहेगा फिर भी महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
जस्टिस ने कहा कि बिना जांच के दवा लिखना आपराधिक लापरवाही के दायरे में आता है। इस मामले में डॉक्टर की गंभीर लापरवाही सामने आयी है। डॉक्टर के पेशे से बड़ी जिम्मेदारी व नैतिकता जुड़ी है। जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यह कहते हुए जस्टिस ने जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।
Created On :   26 July 2018 7:19 PM IST