कोरोना मुआवजे के लिए पात्र नहीं हैं निजी क्लिनिक के डॉक्टर -  केंद्र

Private clinic doctors are not eligible for corona compensation - center
कोरोना मुआवजे के लिए पात्र नहीं हैं निजी क्लिनिक के डॉक्टर -  केंद्र
कोरोना मुआवजे के लिए पात्र नहीं हैं निजी क्लिनिक के डॉक्टर -  केंद्र

डिजिटल डेस्क, मुंबई। केन्द्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि निजी क्लिनिक के डॉक्टर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) के तहत मुआवजे के लिए पात्र नहीं है। पीएमजीकेपी के तहत कोरोना संक्रमण के चलते जान गवाने वाले डॉक्टर के लिए 50 लाख रुपए के मुआवजे का प्रावधान किया गया है। अब अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है।  

केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने न्यायमूर्ति एस जे काथावाल व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने स्पष्ट किया कि पीएमजीकेपी के अंतर्गत वही निजी डॉक्टर मुआवजे के लिए पात्र है जिन्हें सरकार ने कोरोना मरीजों के उपचार के लिए बुलाया था। मुआवजे के लिए पीएमजीकेपी में नई श्रेणी को जोड़ना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अब तक सिर्फ तीन निजी डॉक्टरों को पीएमजीकेपी के तहत मुआवजा दिया गया है। क्योंकि इन डॉक्टरों ने सरकार के निर्देश के तहत कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए अपनी सहमति दी थी। 

खंडपीठ के सामने नई मुंबई निवासी किरण सुरगाड़े की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका के मुताबिक सुरगाड़े के पति आयुर्वेदिक डॉक्टर थे। उन्होंने नई मुंबई  महानगर पालिका की ओर से 31 मार्च 2020 को जारी की गई नोटिस के बाद अपना क्लिनिक खोला था। क्योंकि नोटिस में कहा गया था कि यदि उन्होंने अपना क्लीनिक नहीं खोला तो उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। याचिका में सुरगाड़े ने कहा है कि क्लीनिक खोलने के बाद लोगों के  इलाज के दौरान उसके पति कोरोना संक्रमण के संपर्क में आ गए। जिससे उनकी मौत हो गई। चूंकि उनके डॉक्टर पति ने नई मुंबई मनपा के निर्देश पर क्लिनिक खोला था। इसलिए  उन्हें पीएमजीकेपी के तहत निर्धारित मुआवजे के भुगतान का निर्देश दिया जाए। 

याचिका पर गौर करने के खंडपीठ ने केंद्र सरकार से याचिका पर जवाब मांगा था। इसके तहत सिंह ने खंडपीठ के सामने कहा कि याचिकाकर्ता के पति एक निजी डॉक्टर थे। उन्हें सरकार की ओर से कोरोना मरीज के उपचार के लिए नहीं बुलाया गया था। उन्हें ऐसे मरीजों के उपचार के लिए क्लीनिक खोलने के लिए कहा गया था जो कोरोना की बीमारी से ग्रसित नहीं है। 29 मे से सिर्फ 3 निजी डॉक्टरों को पीएमजीकेपी के तहत मुआवजा दिया गया है। राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे सरकारी वकील ने भी सिंह की दलीलो का समर्थन किया। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 18 जनवरी 2021 तक के लिए स्थगित कर दी और 26 लोगों को मुआवजे से वंचित किए जाने के मुद्दे पर राज्य सरकार को जवाब देने को कहा है। 

Created On :   16 Jan 2021 6:42 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story