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'ड्रंक एंड ड्राइव' पर रद्द होगा लाइसेंस, मनोचिकित्सक की NOC होगी जरूरी!

डिजिटल डेस्क, मुंबई। जुर्माना बढ़ने के बावजूद शराब पीकर गाड़ी चलाने (ड्रंक एंड ड्राइव) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की युवा इकाई के अध्यक्ष सागर मुंदडा ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा है। पत्र में मांग की गई है कि एक बार शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने वालों को तब तक दोबारा लाइसेंस नहीं दिया जाना चाहिए जब तक मनोचिकित्सक उनके ठीक होने की पुष्टि न कर दें।
डॉ. मुंदडा के मुताबिक, शराब पीकर गाड़ी चलाने के जो मामले पकड़े जाते हैं उनमें करीब 50 से 60 फीसदी ऐसे होते हैं जिनमें आरोपी दोबारा अपनी गलती दोहराते हुए पकड़े जाते हैं। क्योंकि शराब पीकर गाड़ी चलाना एक मानसिक बीमारी है। ऐसे लोगों को जुर्माने से कोई फर्क नहीं पड़ता। सरकार ने नशे के मामलों में जुर्माना बढ़ाकर दोगुना कर दिया है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि पिछले पांच साल में नशे में गाड़ी चलाने के मामलों में करीब तीन गुना बढ़ोतरी हुई है।
इससे सरकार के पास जुर्माने के रूप में ज्यादा पैसे तो आए हैं लेकिन सरकार का काम पैसा कमाना नहीं ऐसे अपराध पर लगाम लगाना है क्योंकि नशे में गाड़ी चलाने वाले अपने साथ-साथ दूसरों की जान भी खतरे में डालते हैं। इसका एक ही तरीका है कि नशे में गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने वालों को व्यसनी (एडिक्ट) मानकर मनोचिकित्सकों से उनका इलाज कराया जाना चाहिए। इसके लिए दो मनोचिकित्सकों की टीम बनाई जानी चाहिए। अगर मनोचिकित्सक अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) दें तभी पकड़े गए लोगों को उनका लाइसेंस वापस दिया जाना चाहिए।
राज्य में शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले
साल नशे में गाड़ी चलाने वसूला गया
के मामले जुर्माना
2013 41727 53804000
2014 58414 62442901
2015 53049 75670133
2016 108564 119837800
Created On :   30 Oct 2017 11:43 AM GMT